ईडी 'ठग' की तरह काम नहीं कर सकता, उसे कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 07 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बदमाश की तरह काम नहीं कर सकता और उसे कानून के दायरे में रहना होगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ईडी की ओर से किये जा रहे जांच के मामले में दोषसिद्ध
सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली, 07 अगस्त (हि.स.)। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बदमाश की तरह काम नहीं कर सकता और उसे कानून के दायरे में रहना होगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ईडी की ओर से किये जा रहे जांच के मामले में दोषसिद्धि की दर काफी कम है।

उच्चतम न्यायालयने कहा कि हम ईडी की छवि को लेकर चिंतित हैं। दरअसल उच्चतम न्यायालयमें मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की शक्तियों को लेकर उच्चतम न्यायालयके आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि दर काफी कम होने की वजह है कि प्रभावशाली आरोपी सुनवाई में देरी करने की रणनीति अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली आरोपी वकीलों की बड़ी फौज रखते हैं और अलग-अलग चरणों में अलग-अलग अर्जियां दाखिल करते हैं। इससे ट्रायल बाधित होता है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्जवल भूईयां ने अपने एक फैसले का जिक्र किया जिसमें पांच सालों में ईडी की ओर से पांच हजार मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में दस फीसदी से भी कम दोषसिद्धि की दर थी। ये तथ्य संसद में भी मंत्री की ओर से रखे जा चुके हैं।

इसके पहले सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जुलाई 2022 के आदेश में कई गलतियां हैं जिन पर दोबारा विचार करने की जरुरत है। जस्टिस उज्जवल भूईयां ने कहा था कि कोर्ट ने जिन दो मसलों की पहचान की थी उन पर विचार करने की जरुरत है। जस्टिस सीटी रवि कुमार ने कहा था कि कोर्ट को ये सुनिश्चित करना होगा कि पुनर्विचार याचिका अपील का शक्ल न ले ले। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उच्चतम न्यायालयके फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं है। पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम शामिल हैं। उच्चतम न्यायालयने 24 अगस्त, 2022 को पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने का आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने 27 जुलाई 2022 को अपने फैसले में ईडी की शक्ति और गिरफ्तारी के अधिकार को बहाल रखने का आदेश दिया था। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को मिले विशेषधिकारों को बरकरार रखा था। कोर्ट ने पूछताछ के लिए गवाहों, आरोपितों को समन, संपत्ति जब्त करने, छापा डालने ,गिरफ्तार करने और ज़मानत की सख्त शर्तो को बरकरार रखा था।

कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में किए गए संशोधन को वित्त विधेयक की तरह पारित करने के खिलाफ वाले मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी। कोर्ट ने कहा था कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 का दायरा बड़ा है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 5 संवैधानिक रुप से वैध है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 19 और 44 को चुनौती देने की दलीलें दमदार नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि ईसीआईआर एफआईआर की तरह नहीं है और यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है। एफआईआर दर्ज नहीं होने पर भी संपत्ति को जब्त करने से रोका नहीं जा सकता है। एफआईआर की तरह ईसीआईआर आरोपी को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं है। जब आरोपी स्पेशल कोर्ट के समक्ष हो तो वह दस्तावेज की मांग कर सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी