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शिमला, 07 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी, एम्बुलेंस सेवाओं की स्थिति और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर गुरूवार को राज्यसभा में सवाल उठा। भाजपा प्रदेश महामंत्री व राज्यसभा सांसद डाॅ. सिकंदर कुमार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से पूछा कि क्या सरकार हिमाचल में पैरामेडिकल शिक्षा के विस्तार, एम्बुलेंसों की हालत सुधारने और दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की दिशा में कोई ठोस योजना बना रही है।
इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सदन को बताया कि पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती और तैनाती मुख्य रूप से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि केंद्र सरकार ने एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 के तहत राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य सेवा वृत्ति आयोग का गठन किया है। इसके तहत हिमाचल में राज्य स्तरीय परिषद का गठन भी हो चुका है जो पैरामेडिकल शिक्षा और सेवाओं की गुणवत्ता तय करने का कार्य कर रही है।
एम्बुलेंस सेवाओं पर उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत 108 और 102 दो प्रकार की सेवाएं शुरू की गई हैं। 108 सेवा गंभीर रोगियों व दुर्घटनाग्रस्त लोगों के लिए जबकि 102 सेवा मुख्यतः गर्भवती महिलाओं और बच्चों के परिवहन के लिए चलाई जा रही है।
उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2024 तक प्रदेश में एनएचएम के अंतर्गत 25 एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट, 173 बेसिक लाइफ सपोर्ट और 150 रोगी परिवहन वाहन कार्यरत हैं। इन एम्बुलेंसों की जीपीएस के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि कुछ राज्यों में दुर्गम इलाकों के लिए बाइक और बोट एम्बुलेंस जैसी विशेष सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आपातकालीन जीवन रक्षा के लिए पैरामेडिक्स को कौशल आधारित प्रशिक्षण देने के लिए एक मानकीकृत पाठ्यक्रम भी चलाया जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा