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पूर्वी चंपारण,07 अगस्त (हि.स.)।
महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग और संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत सप्ताह महोत्सव का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव तथा संरक्षक गाँधी भवन के परिसर निदेशक प्रो. प्रसून दत्त सिंह उपस्थित रहे। संयोजक संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा तथा संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बबलू पाल एवं डॉ. विश्वजित् बर्मन ने सह संयोजक के रूप में मार्गदर्शन दिया। मुख्य अतिथि के रूप में अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विमलेश कुमार सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्कृत विभाग के शोधार्थी छात्र सुखेन घोष द्वारा वैदिक मंङ्गलाचरण तथा श्रेयसी दास द्वारा लौकिक मंगलाचरण से हुआ।इस अवसर पर संस्कृत भाषा की महत्ता बताते हुए प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने कहा सभी भाषा की जननी संस्कृत भाषा का महत्व वैदिक काल से ही है।
संस्कृत भाषा का महत्व न केवल कर्मकाण्ड, ज्योतिष एवं साहित्य में है, अपितु विज्ञान, टेक्नोलॉजी, फिल्म में भी नयी संभावना और रोजगार के अवसर हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का उत्कर्ष तभी होगा जब यह अध्ययन-अध्यापन तक सीमित न होकर जन-जन की भाषा के रूप प्रतिष्ठित होगी। तत्पशात् शोधार्थी पार्थ ने संस्कृत भाषा के महत्त्व को सबके समक्ष उपस्थापित किया। डॉ. विमलेश कुमार सिहं ने संस्कृत के प्रति अपने अभिरुचि को बताते हुए अंग्रेजी साहित्य और संस्कृत साहित्य के बहुविध आयामों के लेकर अपना गहन चिन्तन प्रकट किया।
तत्पश्चात् शोधार्थी विश्वनाथ छाटुई ने मनमोहक अधुनिक संस्कृत गीत को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। अन्तिम पर्याय में कार्यक्रम के संयोजक सह संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा ने संस्कृत सप्ताहोत्सव का महत्त्व एवं उद्देश्य बताते हुए संस्कृत भाषा में विद्यमान महनीय ज्ञान परम्परा पर सारगर्भित मीमांसा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सुचारु रूप से सफल मंच संचालन वरिष्ठ शोधार्थी गोपाल कृष्ण मिश्र ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार