संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार करना चाहिए : कुलगुरू प्रो. भारद्वाज
- विक्रम विश्‍वविद्यालय उज्जैन में संस्कृत भाषा में आयोजित हुआ संस्कृत दिवस का आयोजन - कुलगुरू से लेकर विशिष्ट वक्ता तक सभी भाषण और संवाद संस्कृत में हुए उज्जैन, 7 अगस्त (हि.स.) । मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन जिले में विक्रम विश्वविद्यालय का प्रांगण गु
संस्कृत दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलगुरू प्रो. अर्पण भारद्वाज


विक्रम विश्‍वविद्यालय उज्जैन में आयोजित हुआ संस्कृत दिवस का आयोजन


- विक्रम विश्‍वविद्यालय उज्जैन में संस्कृत भाषा में आयोजित हुआ संस्कृत दिवस का आयोजन

- कुलगुरू से लेकर विशिष्ट वक्ता तक सभी भाषण और संवाद संस्कृत में हुए

उज्जैन, 7 अगस्त (हि.स.) । मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन जिले में विक्रम विश्वविद्यालय का प्रांगण गुरुवार को संस्कृत की स्वर लहरियों से गूंज उठा, यहां विद्यालयीन विद्यार्थियों ने संस्कृत दिवस का सम्पूर्ण आयोजन संस्कृत भाषा में मनाया। खास विशेषता यह थी कि विज्ञान विषय के विद्वान विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अर्पण भारद्वाज ने भाषण भी संस्कृत में दिया और विद्यार्थियों से संवाद भी संस्कृत में किया। उन्‍होंने संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि नवीन शोध पर भी संस्कृत को स्वीकार करना चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की संस्कृत वेद एवं ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला द्वारा उज्जैन के विद्यालयों में अध्ययनरत संस्कृत भाषा के विद्यार्थियों के लिए सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय की शलाका दीर्घा में संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। इस सारस्वत आयोजन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो भारद्वाज ने की। विशिष्ट वक्ता प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान प्रोफेसर केदार नारायण जोशी थे।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलगुरु प्रो भारद्वाज द्वारा संस्कृत भाषा में उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार करने पर जोर दिया गया तथा नवीन शोध पर भी संस्कृत को स्वीकार करना चाहिए ऐसा उन्होंने अपना मत व्यक्त किया। कुलगुरु ने आगंतुक छात्रों को भी संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए प्रोत्साहित किया और विश्‍वविद्यालय के बारे में विश्‍वविद्यालय के विशेषताओं से अवगत कराया।

विशिष्ट वक्ता संस्कृत विद्वान प्रोफेसर केदार नारायण जोशी ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्‍व की समस्त भाषाओं का उद्गम संस्कृत भाषा से ही होता है। उन्‍होंने वर्तमान नई पीढ़ी को संस्कृत भाषा का महत्व बताते हुए संस्कृत के प्रति मार्गदर्शन एवं छात्रों को प्रोत्साहित किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्‍वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा एवं विशेष अतिथि के रूप में उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या डॉ. विभा शर्मा उपस्थित रही। इस अवसर पर प्राचार्या डॉ. शर्मा ने कहा कि आज इस आयोजन से विद्यार्थी निश्चित रूप से संस्कृत के प्रति जागृत होंगे तथा भविष्य में संस्कृत के अच्छे अध्येता सिद्ध होंगे।

इस सारस्वत आयोजन के प्रारंभ में स्वागत भाषण संस्कृत वेद एवं ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो.बी.के. अंजना द्वारा दिया गया । कार्यक्रम परिचय संकाय सदस्य डॉ. महेंद्र पंड्या द्वारा दिया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. रश्मि मिश्रा, डॉ. सर्वेश्वर शर्मा, डॉ. रुक्मणी भदोरिया, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. शैलेंद्र वर्मा सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस आयोजन की विशेषता यह रही कि सभी ने अपना वक्तव्य संस्कृत भाषा में ही दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत