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जयपुर, 7 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कलेक्टर सहित अन्य सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी अभ्यावेदन के प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर अभ्यावेदन कर्ता को उसकी पावती प्रदान करें। वहीं यदि अभ्यावेदन प्राप्तकर्ता की ओर से किसी अन्य विभाग से इस संबंध में कोई पत्र व्यवहार किया जाता है तो उसकी कॉपी भी सात दिन में मुहैया कराई जाए। सीजे केआर श्रीराम और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश विश्राम गुर्जर व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने आदेश की पालना के लिए मुख्य सचिव को आदेश का कॉपी भेजी है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि न्यायिक आदेश जारी कर सभी जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में सरकारी भूमि संरक्षण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है और इसका प्रक्रिया तंत्र भी निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद भी कई ऐसी जनहित याचिकाएं सुनवाई के लिए आई हैं, जिनमें सामने आया है कि संबंधित विभाग की ओर से अभ्यावेदन पर की गई कार्रवाई की जानकारी आवेदनकर्ता को नहीं दी गई। अदालत ने कहा कि इस कारण हाईकोर्ट में जनहित याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई है। इन याचिकाओं में विभागों से अभ्यावेदन तय करने की गुहार की जाती है।
जनहित याचिका में अधिवक्ता एमएफ बेग ने अदालत को बताया कि दौसा की बसवा तहसील के ग्राम जैतपुरा में स्थित कुछ भूमि राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन पहाडी के रूप में दर्ज है। इस भूमि पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। याचिकाकर्ता की ओर से पीएलपीसी में अभ्यावेदन भी दिया गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में स्थानीय पीएलपीसी को कार्रवाई के निर्देश दिए जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक