बांग्लादेश भेजे गए बंगाली प्रवासी श्रमिक के पिता ने हाई कोर्ट में लगाई गुहार, बेटे की वापसी की मांग
कोलकाता, 07 अगस्त (हि. स.)। भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न को लेकर लगातार बढ़ते आरोपों के बीच पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक युवक को बांग्लादेश भेजे जाने के फैसले को चुनौती देते हुए उसके पिता ने कलकत्ता हाई को
कोर्ट


कोलकाता, 07 अगस्त (हि. स.)। भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के कथित उत्पीड़न को लेकर लगातार बढ़ते आरोपों के बीच पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक युवक को बांग्लादेश भेजे जाने के फैसले को चुनौती देते हुए उसके पिता ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

मालदा के जलालपुर गांव निवासी जियेम शेख ने गुरुवार को एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें उनके 19 वर्षीय बेटे आमिर शेख को 'अवैध प्रवासी' करार देकर बांग्लादेश भेज दिया गया था। याचिका में उन्होंने बताया कि उनका बेटा कुछ महीने पहले रोजगार की तलाश में राजस्थान गया था, जहां उसे पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया और बाद में सीमा पार करवा दी गई।

हाई कोर्ट में दायर की गई हैबियस कॉर्पस याचिका के ज़रिये जियेम शेख ने न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि उनके बेटे को भारत वापस लाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि आमिर के पास भारतीय नागरिकता के पर्याप्त प्रमाण –आधार कार्ड और जन्म प्रमाणपत्र थे, इसके बावजूद राजस्थान पुलिस ने उसे लगभग दो महीने तक डिटेंशन सेंटर में रखा।

परिवार को इस बात की जानकारी तब हुई जब जुलाई के अंत में एक सोशल मीडिया वीडियो के माध्यम से उन्हें पता चला कि आमिर को बांग्लादेश भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि वे पीढ़ियों से मालदा में रह रहे हैं और उनके पास स्वतंत्रता पूर्व काल के भूमि दस्तावेज़ भी हैं।

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “आमिर शेख को राजस्थान की भाजपा सरकार के तहत पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया और फिर बांग्लादेश भेज दिया गया। वह न रोहिंग्या है और न ही बांग्लादेशी। वह एक बंगाली भाषी भारतीय नागरिक है, जिसे ज़बरन सीमा पार भेजा गया। यह गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है।”

आमिर के परिवार की यह याचिका ऐसे समय में आई है जब इसी प्रकार की दो और याचिकाएं बीरभूम जिले के मुरारई के पैकार इलाके के दो परिवारों द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं में भी बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों को बांग्लादेश भेजे जाने का आरोप लगाया गया है।

बताया गया है कि जून में दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 26 स्थित बंगाली बस्ती से दिल्ली पुलिस ने दो महिलाओं –सोनाली बीबी और स्वीटी बीबी –सहित छह लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल थे। बाद में इन्हें भी बांग्लादेश भेज दिया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर