अवैध बांग्लादेशी मूल के मुस्लिमों को बाहर निकालने के लिए पूरे राज्य में आंदोलन छेड़ने की ज़रूरत: भाजपा
गुवाहाटी, 07 अगस्त (हि.स.)। भाजपा असम प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता किशोर उपाध्याय ने गुरुवार को कहा कि असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी मूल के बांग्लाभाषी मुस्लिमों के खिलाफ केवल अपर असम में नहीं, बल्कि पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन चलाने की आवश्यकत
कमल निशान।


गुवाहाटी, 07 अगस्त (हि.स.)। भाजपा असम प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता किशोर उपाध्याय ने गुरुवार को कहा कि असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी मूल के बांग्लाभाषी मुस्लिमों के खिलाफ केवल अपर असम में नहीं, बल्कि पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ये लोग असम की सांस्कृतिक, धार्मिक और जनसांख्यिकीय पहचान के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन के दौरान अवैध मुस्लिम घुसपैठियों ने असम की भाषा, संस्कृति, इतिहास, धार्मिक संस्थानों, शैक्षणिक स्थानों और सार्वजनिक भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया है, जिससे समाज की मूल संरचना ही बदल गई है। उपाध्याय ने दावा किया कि इन लोगों ने अब तक लगभग 63,58,779 बीघा पीजीआर, वीजीआर, वनभूमि, जलाशयों और सत्र की जमीनों पर कब्जा जमा लिया है।

बरपेटा जिले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां की कुल 19,993 बीघा भूमि — जिसमें दलदली इलाके और पुनः प्राप्त ज़मीन शामिल हैं — अतिक्रमित हो चुकी है। उन्होंने विभिन्न राजस्व सर्किलों से जुड़े आंकड़े भी दिए। जिनमें बरपेटा : 2,908 बीघा, सरभोग : 3,883 बीघा, चेंगा : 570 बीघा, बरनगर : 2,649 बीघा, कलगाछिया : 983 बीघा तथा बाघबर : 7,590 बीघा है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह अन्य जिलों में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि 15,580 बीघा सत्र भूमि पर धार्मिक उग्रता के तहत कब्जा किया गया है। उन्होंने दावा किया कि कई सत्राधिकारों को हत्या, हमला, लूट और बलात्कार जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ा है, जिससे वे चुप रहने और भय में जीने को मजबूर हो गए हैं।

उन्होंने जनसंख्या असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 1947 में असम में मुस्लिम जनसंख्या 12% थी, जो अब बढ़कर 37–38% तक पहुंच गई है और यह वृद्धि कोई स्वाभाविक प्रक्रिया नहीं बल्कि एक जनसांख्यिकीय षड्यंत्र का हिस्सा है। उन्होंने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि कई जिले, जो कभी हिंदू बहुल थे, अब मुस्लिम बहुल हो चुके हैं। जो दक्षिण सालमारा : 95.2%, धुबरी : 83.67%, बरपेटा : 70.74% तथा नगांव में 55.36% है।

उन्होंने इसे असम के राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक भविष्य के लिए गंभीर खतरा बताया।

अंत में उपाध्याय ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा और पार्टी के सभी इकाइयों से आग्रह किया कि वे तत्काल एक व्यापक राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करें ताकि भविष्य की पीढ़ियों को एक सुरक्षित और संप्रभु असम मिल सके।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश