गाजा कब्जे की योजना पर अहम बैठक से पहले आईडीएफ प्रमुख बोले – असहमति संस्कृति जरूरी
यरुशलम, 07 अगस्त (हि.स.)। इजराइली सेना (आईडीएफ) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामिर ने गुरुवार को कहा कि असहमति की संस्कृति इजराइली समाज और सेना की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह बयान उन्होंने उस महत्वपूर्ण सुरक्षा कैबिनेट बैठक से कुछ घंटे पहले दिया
इजराइली सेना (आईडीएफ) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामिर


यरुशलम, 07 अगस्त (हि.स.)। इजराइली सेना (आईडीएफ) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामिर ने गुरुवार को कहा कि असहमति की संस्कृति इजराइली समाज और सेना की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह बयान उन्होंने उस महत्वपूर्ण सुरक्षा कैबिनेट बैठक से कुछ घंटे पहले दिया, जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गाजा पट्टी पर पूर्ण कब्जा करने की योजना पर चर्चा होनी है।

जनरल जामिर ने स्पष्ट किया कि वे डर के बिना, स्वतंत्र और पेशेवर तरीके से अपनी राय रखना जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वे नेतन्याहू की योजना के विरोध में हैं, जिसमें पूरे गाजा क्षेत्र पर सैन्य कब्जा करने की बात कही गई है।

इस योजना का उद्देश्य गाजा में हमास आतंक संगठन का पूरी तरह सफाया करना और अब भी बंधक बनाए गए करीब 50 बंधकों को छुड़वाना है, जिनमें से केवल 20 के जीवित होने की संभावना जताई जा रही है।

योजना के तहत सबसे पहले गाजा सिटी (उत्तर गाजा) और मध्य क्षेत्र के रिफ्यूजी कैंपों पर कब्जा किया जाएगा, जिससे करीब आधी आबादी को दक्षिणी हिस्से मावासी मानवीय क्षेत्र की ओर धकेला जाएगा।

बंधकों के परिवारों ने योजना का कड़ा विरोध किया है। आईडीएफ के शीर्ष अधिकारियों ने चेताया है कि इससे बंधकों की जान जोखिम में पड़ सकती है। कई परिवारों ने गुरुवार को गाजा की ओर नौकाओं से यात्रा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई।

जनरल एयाल जामिर ने हाल के दिनों में सरकार के साथ स्पष्ट मतभेद जताए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि गाजा पर कब्जा करना इजराइल को एक काले गड्ढे में धकेल सकता है। 20 लाख फिलिस्तीनियों की जिम्मेदारी इजराइल पर डाल देगा। गुरिल्ला युद्ध का सामना करना पड़ेगा, और सबसे खतरनाक — बंधकों की जान को सीधा खतरा हो सकता है।

जनरल जामिर ने अपने बयान में दो टूक कहा, हम किसी सैद्धांतिक चर्चा में नहीं हैं। यह जीवन और मृत्यु का मामला है, देश की रक्षा का मामला है। हम अपने सैनिकों और नागरिकों की आंखों में आंखें डालकर फैसला कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आईडीएफ अब गाजा में मई से जारी सैन्य अभियान के अंतिम चरण में है, जो अब तक सीमित रहा है, लेकिन नेतन्याहू की प्रस्तावित योजना इससे कहीं ज्यादा बड़ा कदम है।

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय ने संकेत दिया है कि यदि जनरल जामिर योजना का विरोध करते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय