मप्र के जबलपुर में बना ग्रीन कॉरिडोर, सिवनी के सत्येंद्र के अंगों से दो लोगों को मिलेगी नई जिंदगी
- गुजरात में धड़केगा सत्येंद्र का दिल, लिवर भोपाल में देगा मरीज को नया जीवन जबलपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड मरीज दो लोगों को नई जिंदगी देने जा रहा है। इसक
जबलपुर में बना ग्रीन कॉरिडोर


- गुजरात में धड़केगा सत्येंद्र का दिल, लिवर भोपाल में देगा मरीज को नया जीवन

जबलपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड मरीज दो लोगों को नई जिंदगी देने जा रहा है। इसके लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से डुमना एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। गुरुवार सुबह शुरू हुई प्रक्रिया दोपहर तक जारी रही। चार डाक्टरों की टीम ने दो घंटे के ऑपरेशन के बाद मरीज के अंगों को सुरक्षित निकाला और उसके बाद फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर देश के दो अलग-अलग शहरों में भेजा गया।

दरअसल, सिवनी जिले घंसौर में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद 34 साल के युवक सत्येंद्र यादव को मेडिकल कॉलेज लाया गया था, जहां बुधवार रात डॉक्टर ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। ग्रीन कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया गुरुवार सुबह शुरू हो चुकी थी। हालांकि दो बार समय में संशोधन के बाद सबसे पहले ह्दय ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दोपहर बाद 3:40 पर डुमना विमानतल के लिए रवाना हुआ, जहां से एयर एंबुलेंस की मदद से अहमदाबाद स्थित सिम्स अस्पताल भेजा गया।

दूसरा कॉरिडोर शाम 4:18 बजे लिवर डुमना विमानतल के लिए बनाया गया। लीवर लेकर सिद्धांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भोपाल के लिए एयर एंबुलेंस ने उड़ान भरी। मरीज के अंगों को सुरक्षित निकालने के बाद उन्हें राजधानी भोपाल और अहमदाबाद भेजने की प्रक्रिया सुबह से मेडिकल कॉलेज परिसर में जारी थी।

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ नवनीत सक्सेना ने बताया कि इस साल तीसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। सत्येंद्र को 4 अगस्त को भर्ती किया गया था। हालत बहुत गंभीर थी, इसके बाद भी डॉक्टर और नर्स की टीम लगातार उसे बचाने के प्रयास में जुटी रही, लेकिन आखिरकार बुधवार की रात को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परिवार वालों से हमने अंगदान की बात की तो वो तैयार हो गए, इसके बाद पता किया तो मध्य प्रदेश में हार्ट की जरूरत नहीं थी, जिसके लिए अहमदाबाद ने संपर्क किया, जबकि लिवर की भोपाल से डिमांड आई। इसके बाद अंगदान की प्रक्रिया पूरी की गई। मरीज का दिल गुजरात के अहमदाबाद में एक जरूरतमंद मरीज के लिए भेजा जा गया है। लिवर को भोपाल भेज रहे हैं, जहां के एक मरीज को यह नया जीवन देगा। एक किडनी जबलपुर में ही किसी जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट की जाएगी, जबकि दूसरी किडनी को भी सुरक्षित रखा गया है।

उन्होंने बताया कि अंगों को समय पर उनके गंतव्य तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होती है। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन के सहयोग से मेडिकल अस्पताल से लेकर डुमना एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इस कॉरिडोर के जरिए एंबुलेंस को बिना किसी रुकावट के एयरपोर्ट तक पहुंचाने विशेष इंतजाम किए गए थे। ताकि अंगों को तुरंत एयर एंबुलेंस से भेजा जा सके। दोपहर बाद दो ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और मेडिकल से एंबुलेंस के माध्यम से लिवर व ह्दय डुमना के लिए रवाना हुए, जिसके लिए एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज से निकलकर बरगी हिल्स रामपुर का रूट होते हुए सीएमएम, सिविल लाइन से डुमना पहुंची। ट्रैफिक को देखते हुए शहर के अंदर के रूट को छोड़कर बाहर से रूट तैयार किया गया था।

डीन डॉ सक्सेना ने कहा कि मैं मरीज के स्वजन को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिनकी सहमति से हम दो मरीजों को जीवन दान देने के प्रयास में सहयोगी बन सके। किडनी को अभी सुपर स्पेशियलिटी में सुरक्षित रखा गया है, जो कि जरूरतमंद को लगाई जा सकेगी

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर