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बिलासपुर , 7 अगस्त (हि.स.)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क को लग्जरी कारों से जामकर रील्स से बनाने वाले अमीरजादों सहित 3 अन्य मामलों में कड़े निर्देश देते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा था कि वीडियो वायरल होने के बाद, शहर में इसकी चर्चा होने लगी, लेकिन पुलिस अपनी नींद से जागी और हाल ही में कार्रवाई करते हुए केवल 2000 रुपये प्रति कार का जुर्माना लगाया। इसके बाद कोर्ट ने संज्ञान लिया और फिर पुलिस में आरोपितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया।
इस तरह के अन्य दो और मामले प्रकाश में आए। उच्च न्यायालय ने इसे फिर से संज्ञान लिया है। एक मामला रिवर व्यू में सामने आया था जहां कार का सनरुफ खोलकर सेल्फी लेते युवक नजर आए थे और दूसरा मामला अभिनेता का बीच सड़क जन्मदिन मनाने का था। जिस पर कोर्ट में गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश विभु दत्त गुरु की युगलपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर से बेंच ने पूछा किया घटनाओं में क्या कार्रवाई की गई है। जिसका जवाब देते हुए कहा गया की राष्ट्रीय राजमार्ग में कर खड़े कर कर मार्केट बनाने वाले आरोपित युवकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा के तहत कार्रवाई की गई है। वहीं आरटीओ की तरफ से 3 महीने के लिए लाइसेंस सस्पेंड किया गया है और जुर्माना भी लगाया गया है । दो अन्य घटनाएं जिन पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
दरअसल 20 जुलाई 2025 को “रील्स बनाने नेशनल हाईवे किया जाम, 6 कार सवारों पर 2000 हजार की जुर्माना” शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ है । उपरोक्त समाचार रिपोर्ट में बताया गया है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें छह अमीर युवक काली टोयोटा फॉर्च्यूनर कारों में सवार होकर रतनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्टंट कर रहे थे। इतना ही नहीं, ये अमीर युवक सड़क के बीचों-बीच अपनी कारें एक पंक्ति में खड़ी करके वीडियो बना रहे थे और वीडियोग्राफी के लिए तेज रोशनी की व्यवस्था भी की गई थी। उनकी हरकतों के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लग गया और लोग जाम में फंसकर थक गए। बाद में, विनय शर्मा के बेटे वेदांत शर्मा ने अपनी इंस्टाग्राम आईडी से एक रील पोस्ट की। वीडियो वायरल होने के बाद, शहर में इसकी चर्चा होने लगी, लेकिन पुलिस अपनी नींद से जागी और हाल ही में कार्रवाई करते हुए केवल 2000 रुपये प्रति कार का जुर्माना लगाया। जिस पर अदालत ने कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई में कहा था कि सड़कों पर उपद्रव न केवल ऐसे लोगों की जान को खतरे में डालता है, बल्कि उन सड़कों से गुजरने वाले अन्य लोगों की जान को भी खतरे में डालता है। पुलिस की प्रतिक्रिया/कार्रवाई भी बेहद निराशाजनक है, खासकर जब कोई बिगड़ैल अमीर बच्चा या संपन्न व्यक्ति ऐसी हरकतों में लिप्त पाया जाता है। पुलिस ने इन युवाओं को केवल 2000 रुपये का जुर्माना लगाकर बड़ी आसानी से छोड़ दिया है, जिससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जब ऐसे लोगों को देश के कानून का कोई डर नहीं है, तो पुलिस को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी ही थी। पुलिस अधिकारी खुद असहाय दिखाई देते हैं और उनकी लाचारी राज्य में अराजकता को जन्म देगी।
इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। जिसे गुरुवार को पेश किया गया। वहीं आज हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि इन तीन घटनाओं के अपराध दर्ज होने के बाद पुलिस के द्वारा क्या जांच की गई है..? वहीं हाइकोर्ट ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन से इन तीन घटनाओं में आगे क्या जांच की गई है, इसका स्टेटस मांगा है। और अगली सुनवाई 10 सितंबर 2025 को रखी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Tripathi