कैट को इस साल रक्षाबंधन पर 17,000 करोड़ के कारोबार का अनुमान
नई दिल्‍ली 07 अगस्‍त (हि.स)। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्‍योहार रक्षाबंधन में केवल दो ही दिन शेष हैं। ये त्योहार इस साल 9 अगस्त को मनाया जाएगा। राजधानी नई दिल्ली सहित देशभर के बाजारों में राखी की खरीदारी को लेकर भारी भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे चार
बाजार में राखी की खरीदारी का प्रतीकात्‍मक चित्र


नई दिल्‍ली 07 अगस्‍त (हि.स)। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्‍योहार रक्षाबंधन में केवल दो ही दिन शेष हैं। ये त्योहार इस साल 9 अगस्त को मनाया जाएगा। राजधानी नई दिल्ली सहित देशभर के बाजारों में राखी की खरीदारी को लेकर भारी भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे चारों तरफ उत्साह और ऊर्जा का माहौल है। कारोबारी संगठन कॉन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) को इस वर्ष देशभर में रक्षाबंधन के त्योहार पर लगभग 17 हज़ार करोड़ रुपये के व्यापार होने की उम्मीद है।

चांदनी चौक से सांसद एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने गुरुवार को बताया कि इस बार रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भर भारत की भावना से ओत-प्रोत होगा। उन्‍होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष देशभर में राखी के त्योहार पर लगभग 17 हजार करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद है, जबकि मिठाई, फल एवं गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपये का भी व्यापार होने की संभावना है।

खंडेलवाल ने कहा कि इस बार चीन की बनी हुई कोई भी राखी अथवा त्योहारों का सामान बाजार से पूरी तरह नदारद है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हमारी सेनाओं ने अपनी अनूठी वीरता एवं शौर्य का प्रदर्शन किया है। वहीं, राखी वाले दिन 9 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि भी है। इसलिए इस बार राखी का त्योहार पर भावनाओं की डोर और देशभक्ति की थालियों से बाजार सजे हुए हैं और उपभोक्ताओं के लिए खरीदी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इस बार रक्षाबंधन पर विशेष रूप से फौजियों को समर्पित राखियों द्वारा एक भावनात्मक संदेश सभी शहरों में फौजियों को राखी बांधकर फैलाया जा रहा है।

कैट महामंत्री ने कहा कि इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर इनोवेशन वाली राखियों की धूम है, जिसमें अन्य राखियों के अलावा वोकल फॉर लोकल’ से ‘डिजिटल राखी’ तक तथा ऑपरेशन सिंदूर से लेकर मोदी राखी, आत्मनिर्भर भारत राखी, जयहिंद राखी, भारत माता की जय, विकसित भारत, वंदेमातरम राखी जैसी अनेक प्रकार की आकर्षक राखियों की बाजार में बड़ी डिमांड है। दूसरी ओर इस साल बाजारों में पारंपरिक राखियों के साथ नवाचार से भरी “थीम बेस्ड” राखियां धूम मचा रही हैं, जिनमें इको-फ्रेंडली राखियां मिट्टी, बीज, खादी, बांस एवं कपास से बनी राखी, कस्टमाइज राखियां, भाई-बहन की फोटो और नाम के साथ बाजार में राखियों की धूम है।

खंडेलवाल ने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को समेटे हुए “वसुधैव कुटुंबकम” थीम पर आधारित राखियों में हैं कोसा राखी (छत्तीसगढ़), जूट राखी (कोलकाता), रेशम राखी (मुंबई), खादी राखी (नागपुर), सांगानेरी राखी (जयपुर), बीज राखी (पुणे) बांस राखी (झारखंड), चाय पत्ती राखी (असम), मधुबनी राखी (बिहार) आदि प्रमुख रूप से बिक रही हैं। इनमें से कई राखियां स्थानीय महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं, जिससे “महिला सशक्तीकरण” और स्थानीय उद्योग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है।

सांसद खंडेलवाल ने बताया कि भारत में अब उपभोक्ता त्योहारों को गर्व और आत्मसम्मान के साथ मना रहे हैं और “मेक इन इंडिया” को हर घर तक पहुंचा रहे हैं। इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्‍योहार न केवल पारंपरिक पर्व है, बल्कि यह व्यापारिक अवसर, राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक धरोहर को भी जोड़ने जा रहा है। व्यापारी समुदाय इसे एक सोशल-कमर्शियल मूवमेंट के रूप में देख रहा है और पूरे जोश और जुनून के साथ तैयारियों में जुटा हुआ है। राखी 2025 रिश्तों की नहीं, राष्ट्र की भी डोर बांधेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर