दिल्ली विस अध्यक्ष ने कराया मीडिया को तथाकथित ‘फांसीघर’ का दौरा, बोले- ऐतिहासिक प्रमाण में ऐसा कोई स्थान नहीं
मीडिया प्रतिनिधियों को बुधवार को विधानसभा परिसर स्थित तथाकथित ‘फांसीघर’ का दौरा करते अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता


नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बुधवार को मीडिया प्रतिनिधियों को विधानसभा परिसर के उस स्थान का दौरा कराया जिसे ‘फांसीघर’ कहकर प्रस्तुत किया गया। इस दौरे का उद्देश्य तथ्यों के आधार पर ऐतिहासिक सच्चाई स्पष्ट करना और इस प्रकार की भ्रामक धारणाओं को दूर करना है।

विजेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यहां फांसीघर जैसा कोई स्थान कभी नहीं रहा था। न तो कोई ऐतिहासिक प्रमाण है, न ही कोई अभिलेखीय आधार। यह पूरी तरह से एक मिथ्या प्रस्तुति है। दौरे के दौरान अध्यक्ष ने विधानसभा भवन के ऐतिहासिक विकास की जानकारी देते हुए बताया कि इस इमारत की कहानी 11 दिसंबर 1911 से शुरू होती है, जब किंग जॉर्ज पंचम के दिल्ली दरबार में तत्कालीन वायसराय द्वारा भारत की राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की ऐतिहासिक घोषणा की गई। इसके बाद नई राजधानी में सचिवालय और इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए भवन निर्माण की आवश्यकता पड़ी।

उन्होंने बतायाकि 1912 में इस विधानसभा कक्ष का निर्माण प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार ई. मोंटेग्यू थॉमस के डिजाइन में आरंभ हुआ और मात्र आठ महीनों में फकीर चंद ठेकेदार की देखरेख में कार्य पूर्ण हुआ। यह भवन पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल तथा 1919 के बाद सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का कार्यस्थल रहा। इसके मूल स्थापत्य चित्र आज भी राष्ट्रीय अभिलेखागार में संरक्षित हैं।

गुप्ता ने दौरे के दौरान भवन की प्रमुख विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि अध्यक्ष कक्ष के दोनों ओर बराबर दूरी पर दो एक जैसे लिफ्ट शाफ्ट स्थित हैं, जो ब्रिटिशकाल में सदस्यों तक टिफिन पहुंचाने के लिए बनाए गए थे। इन सेवा कक्षों को ही अब गलत तरीके से ‘फांसीघर’ कहकर प्रचारित किया जा रहा है, जबकि इसका कोई ऐतिहासिक या स्थापत्य प्रमाण मौजूद नहीं है।

अध्यक्ष ने कहा कि यह भवन सिर्फ 115 वर्ष पुराना स्मारक नहीं है, बल्कि यह भारत की संवैधानिक और राजनीतिक यात्रा का साक्षी है। दिल्ली को राजधानी बनाए जाने से लेकर इस कक्ष के निर्माण तक की यात्रा एक ऐतिहासिक परंपरा है, जिसे तथ्यों और श्रद्धा के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विषय को सदन में औपचारिक रूप से उठाया जाएगा ताकि सभी तथ्य और दृष्टिकोण विधिवत रूप से रिकॉर्ड पर आ सकें। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि जनता के करोड़ रुपये इस भवन को एक काल्पनिक ‘फांसीघर’ के रूप में प्रस्तुत करने में व्यर्थ खर्च कर दिए गए।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव