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बांदा, 6 अगस्त (हि.स.)। जिले के जसपुरा कस्बे में बीते गुरुवार को बाढ़ का पानी देखने गए युवक राधे बाल्मीकि (30) का शव सातवें दिन बरामद किया गया। ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते रेस्क्यू टीम केवल एक दिन के लिए भेजी गई थी, बाकी दिन स्थानीय लोग और पुलिस ही तलाश में जुटे रहे।
घटना गुरुवार दोपहर की है, जब राधे बाल्मीकि, पुत्र दुर्जन, घर से कुछ दूरी पर आई बाढ़ का पानी देखने गया था। तभी अचानक तेज बहाव आया और वह पानी में बह गया। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। इसके बाद पुलिस और परिजनों को सूचना दी गई।
सूचना मिलने पर थाना प्रभारी अनिल कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तहसील प्रशासन द्वारा रेस्क्यू टीम को बुलवाया गया। लेकिन टीम लगभग पांच घंटे की देरी से शाम को मौके पर पहुंची और अगले दिन दोपहर तक वापस नहीं आई। इस लापरवाही के खिलाफ गुस्साए लोगों ने अगले दिन पुराने बस स्टैंड पर जाम लगा दिया।
जाम के दौरान राज्यमंत्री रामकेश निषाद, स्थानीय प्रशासन और सपा के राष्ट्रीय महासचिव की ओर से रेस्क्यू टीम भेजने का आश्वासन दिया गया। लेकिन परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि पूरे पांच दिनों में केवल एक दिन ही रेस्क्यू टीम आई, उसके बाद से कोई भी गोताखोर या टीम नहीं भेजी गई।
बुधवार सुबह कस्बे के ही लाला सिंह ने एक बगीचे के पास राधे का शव देखा और पुलिस को सूचना दी। कपड़ों और दाहिने हाथ में पहने चूड़े से शव की पहचान की गई। राधे तीन भाइयों में सबसे बड़ा था और उसकी पत्नी राजकुमारी की मृत्यु एक साल पहले हो चुकी है।
थाना प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि “शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए बांदा भेजा गया है।”
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर रेस्क्यू टीम और गोताखोर लगाए गए होते, तो शायद राधे की जान बचाई जा सकती थी। अब जब शव मिल चुका है, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया है। गांव में शोक और प्रशासनिक उदासीनता को लेकर गहरा आक्रोश है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह