आरजी कर पीड़िता को न्याय मिलने तक दुर्गा पूजा समितियों ने ममता सरकार की आर्थिक सहायता ठुकराई
दुर्गा पूजा


कोलकाता, 06 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना को एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन पीड़िता और उसके परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला है। इस मामले में न्याय की मांग को लेकर राज्य के कई सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों ने इस बार भी राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली वार्षिक आर्थिक सहायता लेने से साफ इनकार कर दिया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि इस वर्ष प्रत्येक सामुदायिक दुर्गा पूजा समिति को दी जाने वाली वार्षिक सहायता राशि बढ़ाकर 1.10 लाख रुपये कर दी जाएगी, जो पिछले वर्ष 85 हजार रुपये थी। लेकिन इस घोषणा के कुछ ही दिनों बाद नदिया जिले के रानाघाट स्थित ‘चारेर पल्लि सर्वजनिन दुर्गा पूजा समिति’ और दक्षिण 24 परगना के जयनगर की ‘7 एंड 14 पल्लि सर्वजनिन दुर्गा पूजा समिति’ ने स्पष्ट कर दिया कि वे यह राशि स्वीकार नहीं करेंगे।

दोनों समितियों के आयोजकों का कहना है कि जब तक आर.जी. कर पीड़िता और उसके माता-पिता को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक वे किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं लेंगे। इन समितियों ने पिछले वर्ष भी 85 हजार रुपये की सरकारी सहायता को अस्वीकार कर दिया था, जब पूरे राज्य में इस जघन्य अपराध को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।

‘7 एंड 14 पल्लि सर्वजनिन दुर्गा पूजा समिति’ के आयोजक तुषार रॉय ने कहा कि 1.10 लाख रुपये की राशि उनके लिए मायने रखती है, क्योंकि इससे पूजा के आयोजन में काफी मदद मिल सकती है, लेकिन समाज का हिस्सा होने के नाते उनका फर्ज है कि वे न्याय की मांग से पीछे न हटें। उन्होंने बताया कि समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि पूजा के खर्चों में कटौती कर वे बिना सरकारी सहायता के ही कार्यक्रम करेंगे।

वहीं, रानाघाट (उत्तर-पूर्व) विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक और ‘चारेर पल्लि सर्वजनिन दुर्गा पूजा समिति’ के प्रमुख आयोजक पार्थ सारथी चटर्जी ने कहा कि यह सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है, राज्य के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने में विफल है और युवाओं को रोजगार देने की स्थिति में भी नहीं है। ऐसे में, इस सरकार से दान स्वीकार करना न केवल अनुचित है बल्कि दुर्गा पूजा जैसी हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी अपमान है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर