राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत्जनसम्मान समारोह का उदयपुर में आयोजन गर्व का विषय - जोधावत
राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत्जनसम्मान समारोह का उदयपुर में आयोजन गर्व का विषय - जोधावत


उदयपुर, 6 अगस्त (हि.स.)। मेवाड़ की धरती शौर्य एवं त्याग की भूमि होने के साथ-साथ संस्कृत भाषा के अभ्युदय की धरती भी है। महाराणा राजसिंह के शासनकाल में संस्कृत में रचित ग्रंथ राज-प्रशस्ति ने संस्कृत भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसी मेवाड़ धरा पर संस्कृत दिवस अंतर्गत राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वत्जनसम्मान समारोह आयोजित होना मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के दूरदृष्टि का परिचायक होने के साथ ही गर्व का विषय भी है।

यह विचार प्रदेश की संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियंका जोधावत ने बुधवार को होटल कजरी में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से चर्चा के दौरान व्यक्त किए। जोधावत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। वेद विद्यालयों की स्थापना हो या वैदिक गुरुकुल की अवधारणा को धरातल पर लाना, सरकार ने नवाचारों के माध्यम से देवभाषा संस्कृत की प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि की है। झीलों की नगरी उदयपुर में राज्य स्तरीय आयोजन कर एक बार फिर सरकार ने संस्कृत के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शित किया है। इस आयोजन में संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के व्यापक दृष्टिकोण की महती भूमिका रही है। उन्होंने ही जयपुर से बाहर इस आयोजन का विचार सामने रखा और पिछले वर्ष कोटा में सफल आयोजन के पश्चात इस वर्ष आयोजन का दायित्व मेवाड़ को सौंपा। जोधावत ने कहा कि कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विभिन्न कार्यों के लिए समितियों का गठन कर कार्यभार सौंप दिये गए थे। समितियों ने दिन-रात मेहनत कर आयोजन की सारी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है।

प्रेस वार्ता के दौरान संस्कृत शिक्षा मंत्री के विशेषाधिकारी अभय सिंह राठौड़, निदेशालय के वरिष्ठ उपनिरीक्षक भारत कुमार, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी नत्थू राम शर्मा, भगवती शंकर व्यास, आयोजन के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति सदस्य रामानुज पांडेय, शिवचरण शर्मा, पीयूष दशोरा, राममोहन शर्मा एवं पूर्व संभागीय अधिकारी कमल किशोर चोटिया उपस्थित रहे।

जोधावत ने बताया कि विधानसभाध्यक्ष डॉ. वासुदेव देवनानी के मुख्य आतिथ्य एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में गुरुवार को सुखाड़िया रंगमंच सभागार में यह सम्मान समारोह होगा। अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग मंत्री बाबूलाल खराड़ी, सारस्वत अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय जयपुर के निदेशक प्रो. वाई. एस. रमेश उपस्थित रहेंगे। शहर विधायक ताराचंद जैन व ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लेंगे। आशीर्वाद प्रदाता के रूप में उत्तम स्वामी एवं माकड़ादेव आश्रम झाड़ोल के संत गुलाबदास महाराज का सान्निध्य प्राप्त होगा।

जोधावत ने बताया कि कुल चार वर्गों में 56 सम्मान एवं पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। संस्कृत साधना शिखर सम्मान सबसे बड़ा सम्मान है जिसके तहत एक लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। इस वर्ष यह पुरस्कार चित्तौड़गढ़ के कैलाश चंद्र मूंदड़ा को प्रदान किया जा रहा है। दो व्यक्तियों को संस्कृत साधना सम्मान से सम्मानित करते हुए प्रत्येक को 51 हजार की राशि प्रदान की जाएगी। सात संस्कृत विद्वत्सम्मान पुरस्कार के तहत प्रत्येक को 31 हजार की पुरस्कार राशि से पुरस्कृत किया जाएगा। संस्कृत युवा प्रतिभा पुरस्कार के तहत 11 व्यक्तियों को 21-21 हजार की राशि से पुरस्कृत किया जाएगा। इसी प्रकार मंत्रालयिक सेवा सम्मान तथा विभिन्न अकादमिक स्तर के विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता