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हरदोई, 06 अगस्त (हि.स.)। डॉ राम मनोहर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय अल्लीपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर बुधवार शाम को श्री धाम वृन्दावन से पधारी हुई देवी महेश्वरी श्रीजी ने कथा में सुदामा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि मित्रता की परिभाषा सीखनी हो तो श्री कृष्ण से सीखनी चाहिए। पत्नी के बार बार कहने पर सुदामा जी द्वारकाधीश से मिलने को चल दिए । महीनों की यात्रा के बाद जब वो द्वारका पहुंचते है श्री कृष्ण जी उनका हृदय से स्वागत करते हैं। अश्रु जल से चरण धुलते है आज बचपन के दोनों मित्र एक अंतराल के बाद गले मिलते है ।
उन्हाेंने कहा मित्र के सुख दुख का जो साथी है मित्र गरीब है या अमीर कोई फर्क जहां न रह जाए वहीं वास्तविक मित्रता है वह मित्रता वही प्रेम श्री कृष्ण और आत्म ग्यानी श्री सुदामा जी में देखने को मिलती है। आगे की कथा में प्रवेश करते हुए देवी जी ने राजा परीक्षित मोक्ष के साथ कथा विश्राम की, कथा पांडाल में फूलों की होली खेली गई कथा के मुख्य यजमान डॉ सुशील चंद्र त्रिवेदी मधुपेश सपरिवार वृन्दावन से पधारी उनकी पूरी समिति का स्वागत कर विदाई की ।
इस अवसर पर मुख्य रूप से माधवेंद्र प्रताप सिंह विधायक सवायजपुर, मनोज राष्ट्रीय संगठन मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद, राज किशोर प्रांत समरसता प्रमुख ,सौरभ मिश्रा पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा रेखा त्रिपाठी , बांकेलाल वरिष्ठ प्रचारक, त्रिपुरेश मिश्रा ब्लॉक प्रमुख शाहाबाद धर्मेंद्र सिंह, ब्लॉक प्रमुख बाबन बी डी शुक्ला, राजीव रंजन मिश्र पूर्व जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी आदि लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / अंबरीश कुमार सक्सेना