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नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में नव-निर्मित 'कर्तव्य भवन' का लोकार्पण करते हुए कहा कि यह भवन केवल एक सरकारी इमारत नहीं, बल्कि विकसित भारत के निर्माण का प्रतीक और यह राष्ट्र निर्माण की दिशा तय करने वाला केंद्र बनेगा।
कर्तव्य पथ पर आयोजित एक भव्य सार्वजनिक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ‘कर्तव्य’ शब्द केवल कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों तक ही सीमित नहीं है। यह भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा है, जो कर्म प्रधान दर्शन को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी कर्तव्य को सर्वोपरि माना है। उन्होंने कहा, “कर्तव्य केवल अधिकार नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व की भावना से जुड़ा है, जो देश के भविष्य की आधारशिला है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि बहुत विचार-विमर्श के बाद इस भवन का नाम 'कर्तव्य भवन' रखा गया है। यह नाम सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एक जीवंत विचार है जो नीतियों, योजनाओं और फैसलों के केंद्र के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि अमृतकाल में यह भवन नीतिगत निर्णयों का मुख्य केंद्र बनेगा, जहां से आने वाले दशकों की दिशा तय की जाएगी।
उन्होंने बताया कि अमृतकाल में राष्ट्र निर्माण से जुड़े जो भी निर्णय होंगे, वे अब इन नए भवनों से संचालित होंगे। उन्होंने कहा कि कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा जैसे स्मारक आधुनिक भारत के प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार विकास के इस दौर में केवल इमारतें नहीं बना रही, बल्कि नई सोच, नई दिशा और नए भारत की नींव रख रही है।
प्रधानमंत्री ने अगस्त माह को क्रांति का महीना बताते हुए कहा कि यह समय आधुनिक भारत के निर्माण की उपलब्धियों का साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा कि देश में अब विकास की धारा हर कोने तक पहुंच रही है और यह एक समावेशी सोच का परिणाम है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि यह पहला कर्तव्य भवन है, लेकिन ऐसे कई भवनों का निर्माण देशभर में तेजी से जारी है। उन्होंने इसे ‘होलिस्टिक विजन’ का हिस्सा बताया।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार दशकों पुरानी व्यवस्था से बाहर निकलकर एक नए प्रशासनिक मॉडल की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद लंबे समय तक देश की मशीनरी ब्रिटिश काल में बनी इमारतों से संचालित होती रही, जिनमें पर्याप्त स्थान और मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। प्रधानमंत्री ने बताया कि गृह मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालयों को सौ साल पुरानी इमारतों में काम करना पड़ रहा था, जबकि देश के अनेक मंत्रालय दिल्ली में करीब 50 अलग-अलग स्थानों से कार्यरत हैं। इनमें से कई भवन किराये पर हैं, और इन पर प्रति वर्ष लगभग 1,500 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब सरकार 10 साझा केंद्रीय सचिवालय भवनों का निर्माण कर रही है, जिससे इस खर्च की बचत होगी और प्रशासनिक कार्य क्षमता भी बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 11 वर्षों में भारत ने पारदर्शी, उत्तरदायी और नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल विकसित किया है। अब देश का कोई हिस्सा विकास की मुख्यधारा से अछूता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प के साथ यह यात्रा निरंतर जारी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार