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रांची, 06 अगस्त (हि.स.)। झारखंड उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार को पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम-1996 (पेसा एक्ट) की नियमावली 6 सितंबर 2025 तक लागू करने का सख्त आदेश दिया है। पीठ ने पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को पेसा नियामवली लागू करने या फिर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो अगली सुनवाई में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा। अलालत ने कहा कि आदेशों की अनदेखी न्यायालय की अवमानना है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता ।
अलालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि 29 जुलाई 2024 को आदेश दिया गया था कि दो माह के भीतर पेसा नियमावली लागू की जाए। अब तक ऐसा नहीं हुआ है। यह अवमानना का गंभीर मामला है। 25 जून को अवमानना याचिका स्वीकार की गई थी, नोटिस भी जारी हुआ था, बावजूद इसके पंचायती राज विभाग ने अब तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार न्यायालय के आदेश को गंभीरता से नहीं ले रही है, जो कि उचित नहीं है। अदालत ने कहा कि पेसा अधिनियम लागू करने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए? उसकी तिथि-वार जानकारी अगली सुनवाई में दे।
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर माल्टो ने आज यह जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि अदालत के जुलाई 2024 के आदेश के बावजूद अब तक नियमावली तैयार नहीं की गई है, जिससे आदिवासी समुदाय में रोष है। मंच की ओर से उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा। दलील देने के दौरान अधिवक्ता ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ था। लेकिन 1996 में बने पेसा कानून की नियमावली अब तक राज्य में लागू नहीं हो सकी है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पेसा नियमावली तैयार करने की प्रक्रिया अभी जारी है। फिलहाल पंचायती राज अधिनियम और अन्य विधानों के जरिए पेसा के कुछ प्रावधान आंशिक रूप से लागू किए गए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे