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मंडी, 06 अगस्त (हि.स.)। भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बेलीराम कौंडल ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किसान विरोधी मानसिकता दिखाते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से एकतरफा स्थगन आदेश लेकर प्रदेश के किसानों को चार गुना मुआवजे से वंचित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मई 2025 में राज्य सरकार की 1 अप्रैल 2015 की अधिसूचना को खारिज किया था, जिसमें भूमि अधिग्रहण मुआवजा निर्धारण के लिए केवल फैक्टर-1 लागू किया गया था। इस अधिसूचना से प्रभावितों को केवल दो गुना मुआवजा मिलना था, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार फैक्टर-2 भी लागू किया जाना चाहिए था, जिससे किसानों को चार गुना मुआवजा मिल सकता था।
बेलीराम कौंडल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर किसानों के साथ धोखा किया है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह शामिल थे, ने हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।
मंच के संयोजक जोगिंद्र वालिया ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ (न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा) ने स्पष्ट किया था कि 2015 की अधिसूचना ग्रामीण किसानों के साथ अन्याय है और यह भूमि अधिग्रहण कानून की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। भाजपा ने 2017 में वादा किया था कि सत्ता में आने पर चार गुना मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ। वहीं, कांग्रेस ने 2022 में चुनाव से पहले मुआवजे का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार बनने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया, उलटे सुप्रीम कोर्ट जाकर किसानों के हितों के खिलाफ कार्य किया।
मंच ने ऐलान किया है कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर स्थगन आदेश को निरस्त करवाने का प्रयास करेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा