भारतीय नागरिकों के विदेश में जन्मे बच्चों के हितों को सुरक्षित करे सरकार- हाईकोर्ट
हाईकाेर्ट


जयपुर, 6 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को कहा है कि वह भारतीय नागरिकों के विदेश में जन्मे बच्चों के हितों को सुरक्षित करने के लिए कानून की समीक्षा करे और जरूरत पडने पर उन्हें संशोधित करने पर विचार करे। अदालत ने कहा कि ऐसे बच्चों के कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे को मजबूत करने और देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की जरूरत है, ताकि ऐसे अनूठी परिस्थिति में बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सके। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश सेहर गोगिया के अपने पिता के जरिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

अदालत ने कहा कि इमिग्रेशन ब्यूरो याचिकाकर्ता की मां की एनओसी के बिना उसकी वीजा अवधि अधिकतम समय के लिए बढाई। वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता ब्यूरो में ओसीआई कार्ड के लिए आवेदन करे। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच साल की बच्ची है और उसे ऑस्ट्रेलिया निर्वासित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया कि उसके माता-पिता का मार्च, 2018 में विवाह हुआ था। इसके बाद वे आस्ट्रेलिया गए थे। जहां 1 जून, 2020 को याचिकाकर्ता का जन्म हुआ। इस पर वहां की सरकार ने नवंबर, 2021 में याचिकाकर्ता को नागरिकता दे दी। इसके बाद वह भारत सरकार से वीजा लेकर अपने माता-पिता के साथ यहां आ गई। इस दौरान उसकी समय-समय पर वीजा अवधि 24 जनवरी, 2024 तक बढ़ाई गई। याचिका में कहा गया कि इस बीच याचिकाकर्ता के माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद पैदा हो गया और उसकी मां ने याचिकाकर्ता के पिता पर कई केस कर दिए। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से इमिग्रेशन ब्यूरो में याचिकाकर्ता की वीजा अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन किया, जिसे ब्यूरो ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसकी मां ने वीजा अवधि बढ़ाने के लिए एनओसी नहीं दी। ऐसे में याचिकाकर्ता को आशंका है कि उसे अवैध प्रवासी मानकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसलिए मामले में कोर्ट दखल देकर उसकी वीजा अवधि बढाए। इसका विरोध करते हुए इमिग्रेशन ब्यूरो की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से अभी तक ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया कार्ड के लिए आवेदन नहीं किया गया है। हालांकि इसके बावजूद भी विभाग याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई या उसे डिपोर्ट नहीं कर रहा है। ब्यूरो की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता आस्ट्रेलिया की नागरिक है और उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / पारीक