Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
समस्तीपुर,6 अगस्त (हि.स.)। जिला प्रशासन द्वारा एक अत्यंत गंभीर फर्जीवाड़े का समय रहते पर्दाफाश कर उसे विधिसम्मत तरीके से रोकने का सराहनीय कार्य किया गया है। बिहार लोक सेवा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत समस्तीपुर जिले के मोहीउद्दीननगर प्रखंड (पटोरी अनुमंडल) में प्राप्त एक फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र आवेदन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम और चित्र प्रयुक्त किया गया था। यह आवेदन सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन ने तत्काल गंभीरता दिखाई और इसकी पूर्ण जांच कर आवेदन को रद्द करते हुए साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई।
इस मामले में सर्वप्रथम सतर्कता दिखाई प्रखंड की राजस्व पदाधिकारी , जो एक महिला अधिकारी हैं, उन्होंने आवेदन की गहन जांच के उपरांत उसमें त्रुटिपूर्ण तथ्यों एवं असंगत दस्तावेजों को पहचानते हुए तत्काल संबंधित वरीय पदाधिकारियों को सूचित किया और विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित कराई।
मूल आवेदन में आवेदक का नाम ‘डोनाल्ड जॉन ट्रम्प’, पिता का नाम ‘फैडरिक क्रिस्ट ट्रम्प’ और चित्र में डोनाल्ड ट्रम्प का चेहरा संलग्न था। इसके साथ एक छेड़छाड़ कर बनाया गया नकली आधार कार्ड भी संलग्न किया गया था, जो स्पष्ट रूप से एक गहरी साइबर धोखाधड़ी एवं सरकारी तंत्र में प्रवेश का दुरुपयोग है।
प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्क्षण भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराएं 318(4) व 336(4) (दस्तावेजों में जालसाजी एवं फर्जीवाड़ा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धाराएं 66(c) व 66(d) (इलेक्ट्रॉनिक पहचान की चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी) के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सरकारी सेवाओं में फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग पूर्णतः अस्वीकार्य है। ऐसे कृत्यों पर जिला प्रशासन द्वारा 'शून्य सहिष्णुता' की नीति अपनाते हुए कठोरतम कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इस कार्यवाही के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया है कि सरकारी सेवाओं की डिजिटल प्रणाली में पारदर्शिता, सत्यता एवं सुरक्षा सर्वोपरि है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि सोशल मीडिया पर किसी मज़ाक या सनसनी के इरादे से किया गया कार्य भी यदि सरकारी प्रक्रिया से जुड़ता है, तो वह गंभीर अपराध माना जाएगा और अपराधी को दंडित किया जाएगा।
प्रशासन ने आम नागरिकों से यह भी अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के सरकारी प्रमाणपत्र या सेवा के लिए सत्य एवं प्रमाणिक दस्तावेजों का ही उपयोग करें। किसी भी प्रकार की जानबूझकर की गई ग़लत जानकारी या फर्जीवाड़ा, आवेदन अस्वीकृति के साथ-साथ आपराधिक अभियोजन का कारण बन सकता है।
इस घटना ने प्रशासनिक सजगता, महिला अधिकारियों की भूमिका और तकनीकी दक्षता के सम्मिलन से एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है कि सरकारी तंत्र अब न केवल डिजिटल है, बल्कि सतर्क, उत्तरदायी और विधिपूर्वक सजग भी है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / त्रिलोकनाथ उपाध्याय