मुख्यमंत्री ने 29वें दिल्ली पुस्तक मेला 2025 का किया उद्घाटन, बोलीं- किताबों से प्रेम ही भारत को विश्वगुरु बनाएगा
प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में बुधवार को '29वें दिल्ली पुस्तक मेले में किताबों देखती मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बुधवार को भारत मंडपम प्रगति मैदान के हॉल नंबर 12 और 12ए में '29वें दिल्ली पुस्तक मेला 2025' का उद्घाटन किया।

दिल्ली पुस्तक मेला 6 से 10 अगस्त तक चलेगा और इसका आयोजन फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स (एफआईपी) और इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइजेशन (आईटीपीओ) ने किया है। इस मौके पर कला, संस्कृति और भाषा मंत्री कपिल मिश्रा, आईटीपीओ चेयरमैन प्रदीप सिंह खरौला व अन्य लोग मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने उदघाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल युग में युवाओं का रुझान किताबों की ओर कम नहीं होना बहुत ही सकारात्मक संकेत है। यह किताबों के प्रति प्रेम और पठन-पाठन की शैली भारत को विश्वगुरु बनाएगा। उन्होंने कहा कि किताबें जीवन की सबसे सच्ची और निःस्वार्थ मित्र हैं, जो न अपेक्षा करती हैं, न शर्त रखती हैं, केवल साथ निभाती हैं। यह मेला उस मित्रता का उत्सव है। उन्होंने कहा किताबें केवल पन्ने नहीं बल्कि पीढ़ियों को दिशा देने वाले पथप्रदर्शक हैं। उन्होंने दिल्ली पुस्तक मेले को न केवल एक वार्षिक आयोजन, बल्कि पीढ़ियों की स्मृतियों से जुड़ा एक ‘सांस्कृतिक संस्कार’ बताया। मुख्यमंत्री ने बच्चों, युवाओं और अभिभावकों को पुस्तक संस्कृति से जुड़ने का आमंत्रण दिया और आयोजकों को इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस पुस्तक मेले के साथ 25वां स्टेशनरी फेयर और 9वां ऑफिस ऑटोमेशन एवं कॉर्पोरेट गिफ्ट फेयर भी जोड़ा गया है, जिससे यह मेला न केवल साहित्यिक, बल्कि शैक्षिक, व्यापारिक और रचनात्मक संवाद का भी केंद्र बन गया है।

मंत्री कपिल मिश्रा ने पुस्तक मेले को साहित्य, संस्कृति और विचारों का महाकुंभ बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज दिल्ली को एक ऐसा नेतृत्व मिला है, जो केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना से भी समृद्ध है।

मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘ज्ञान आधारित समाज’ के विजन का उल्लेख करते हुए कहा कि किताबें केवल ज्ञान नहीं, बल्कि संस्कार भी देती हैं और दिल्ली सरकार इस विचारधारा को आत्मसात कर चुकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि आगामी वर्षों में पुस्तक मेले को एक 'साहित्यिक महोत्सव' का रूप दिया जाए, जिसमें कवियों, लेखकों, विद्यार्थियों और साहित्यप्रेमियों को संवाद और रचनात्मक सहभागिता का मंच मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष कला, संस्कृति और भाषा विभाग के लिए ऐतिहासिक बजट स्वीकृत किया है, जिसका प्रभाव दिल्ली के सांस्कृतिक परिदृश्य पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव