दिल्ली विधानसभा भवन में लगाए गए ‘फांसी घर’ संबंधी भ्रामक बोर्ड को तुरंत हटाएंः रेखा गुप्ता
दिल्ली विधानसभा में बुधवार को फांसी घर पर चर्चा के दौरान  अपने विचार रखती मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता


नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)। विधानसभा में मानसून सत्र में चर्चा के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती सरकार के विधानसभा भवन के एक हिस्से में ‘फांसी घर’ बताने के दावे को खारिज किया। उन्होंने इसे इतिहास के साथ खिलवाड़, शहीदों का अपमान और जनता के साथ धोखा करार दिया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता व सदन से आग्रह किया कि विधानसभा भवन में लगाए गए ‘फांसी घर’ संबंधी भ्रामक बोर्ड को तुरंत हटाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम विशेष रूप से 24-25 अगस्त को प्रस्तावित ऑल इंडिया स्पीकर कॉन्फ्रेंस से पहले अनिवार्य है, ताकि देशभर से आने वाले स्पीकरों को झूठा इतिहास न दिखाया जाए और दिल्ली विधानसभा की प्रतिष्ठा बनी रहे। इस ‘फांसी घर’ के झूठे प्रचार अभियान पर जनता के करदाताओं का लगभग एक करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने इसकी वसूली सुनिश्चित करने, संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और एक विस्तृत जांच बिठाने की भी मांग की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता की भावनाओं से खेलते हुए बिना किसी प्रमाण, दस्तावेज या ऐतिहासिक आधार के विधानसभा भवन के एक हिस्से को ‘फांसी घर’ घोषित कर दिया। मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि यह भवन वर्ष 1912 में बना और वर्ष 1913 से 1926 तक यहां इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की बैठकें हुईं। जिस हिस्से को ‘फांसी घर’ बताया गया, वह दरअसल ब्रिटिश काल में अंग्रेज अफसरों के लिए बनाई गई सर्विस सीढ़ियां थीं, जिनका इस्तेमाल टिफिन सर्विस और अन्य कार्यों के लिए होता था। जबकि वास्तविक में पुरानी दिल्ली की जेल मौलाना आजाद कॉलेज परिसर में थी और वहीं फांसी की सजा दी जाती थी। उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना केवल जनता को भ्रमित करने के लिए नहीं, बल्कि शहीदों की कुर्बानी का भी अपमान है। जिस भवन में संविधान की गरिमा के अनुरूप कानून बनाए जाते हैं, उसी के दर-ओ-दीवार पर झूठ लिख देना अक्षम्य अपराध है।

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए स्क्रिप्टेड नाटक, भावनात्मक ड्रामा और झूठ का सहारा लिया, जिस पर लगभग एक करोड़ जनता का पैसा विज्ञापनों और प्रचार पर खर्च हुआ। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक नाटक नहीं, बल्कि दिल्ली की जनता के विश्वास के साथ खुला धोखा है। हमारी सरकार की जिम्मेदारी है कि हम सत्य को सामने लाएं और इस ऐतिहासिक भवन की गरिमा को सच्चाई के साथ सुरक्षित रखें।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव