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सिरसा, 6 अगस्त (हि.स.)। डबवाली के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता अमित सिहाग ने कहा कि एसवाईएल नहर का पानी हरियाणा को देने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की मौजूदगी में हरियाणा तथा पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सीएम नायब सैनी द्वारा हरियाणा का पक्ष मजबूती से नहीं रखा गया। अमित सिहाग ने बुधवार को मीडिया को जारी एक प्रेस बयान में कहा कि एक तरफ जहां पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान स्पष्ट रूप से कहते हैं कि उनके पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी पानी नहीं है और केंद्र सरकार को अन्य विकल्प देखने चाहिएं। वहीं, इस बैठक को मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा सकारात्मक बताया जाना हास्यास्पद है।
पूर्व विधायक ने तथ्य रखते हुए कहा कि समझौते के तहत पंजाब से हरियाणा को 12.55 एमएएफ पानी मिलना चाहिए जबकि हमें केवल 10.67 एमएएफ पानी ही मिल रहा है, वहीं इसके विपरीत जहां पंजाब को आवंटित क्षमता का कुल 14.67 एमएएफ पानी मिलना चाहिए, वह इस से कहीं अधिक 17.15 एमएएफ पानी प्रयोग कर रहा है। सिहाग ने इस बात पर बल दिया कि हरियाणा को अपने हिस्से से 17 फीसदी कम पानी मिलने के बावजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री किसानों के हितों की रक्षा करने की बजाय चुप्पी साधे हुए हैं।
पूर्व विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री पंजाब हाल ही में निलंबित की गई सिंधु जल संधी को आधार बना कर एसवाईएल के मुद्दे से ध्यान भटकाने का विफल प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि सबको पता है कि वल्र्ड बैंक द्वारा करवाई गई सिंधु जल संधी केवल निलंबित हुई है, रद्द नहीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को बैठक में बताना चाहिए था कि अगर वास्तव में यह संधि रद्द हो भी जाती है तो हरियाणा और पंजाब की तरफ चेनाब का पानी लाने के लिए दशकों लग जाएंगे। उस पर लाखों करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसे मौजूदा हालातों में सोचना भी संभव नहीं है। उन्होंने मांग की है कि हरियाणा के हितों के विरुद्ध पंजाब सरकार द्वारा दी जा रही बेबुनियाद दलीलों व प्रयासों का हरियाणा के मुख्यमंत्री पुरजोर खंडन कर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के तहत एसवाईएल से हरियाणा के हिस्से का पानी लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने का काम करें।
हिन्दुस्थान समाचार / Dinesh Chand Sharma