दृष्टिहीनों ने दी चेतावनी : विधानसभा के मॉनसून सत्र से पहले मांगे नहीं मानी गईं तो करेंगे आत्मदाह
दृष्टिहीनों ने दी चेतावनी : विधानसभा के मॉनसून सत्र से पहले मांगे नहीं मानी गईं तो करेंगे आत्मदाह


शिमला, 06 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में दृष्टिहीनों का संघर्ष निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। अपनी वर्षों पुरानी मांगों को लेकर राजधानी शिमला में बीते 652 दिनों से धरने पर बैठे दृष्टिहीनों ने चेतावनी दी है कि यदि विधानसभा के आगामी मॉनसून सत्र से पहले सरकार ने उनके बैकलॉग को कोटे की भर्तियों पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया, तो वे 19 अगस्त को आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे और आवश्यकता पड़ी तो आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

शिमला में बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान दृष्टिहीन जन संगठन के सदस्य पंकज ठाकुर ने बताया कि सरकार और अधिकारियों से कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक दृष्टिहीनों की बैकलॉग कोटे की भर्तियों को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में दृष्टिहीनों के कोटे के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार इन रिक्तियों को भरने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है।

पंकज ठाकुर ने कहा कि हमारी स्थिति अब ‘मरता क्या न करता’ जैसी हो गई है। बार-बार गुहार लगाने के बावजूद हमारी सुनवाई नहीं हो रही। अब हमारे पास आत्मदाह और आमरण अनशन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

दृष्टिहीन जन संगठन ने साफ किया कि अगर सरकार ने जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया तो न केवल आत्मदाह और अनशन की दिशा में कदम उठाया जाएगा, बल्कि दिल्ली जाकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से मिलकर भी प्रदेश सरकार की उपेक्षा की शिकायत की जाएगी।

संगठन की मांग है कि प्रदेश सरकार एकमुश्त सभी विभागों में दृष्टिहीनों के बैकलॉग कोटे की भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करे।

गौरतलब है कि दृष्टिहीन संगठन के सदस्य पिछले करीब दो वर्षों से अधिक समय से शिमला में धरने पर बैठे हैं, लेकिन अब तक उनकी मांगों की ओर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ऐसे में आगामी मॉनसून सत्र से पहले यह मुद्दा सियासी तौर पर भी गर्मा सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा