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अयोध्या, 6 अगस्त (हि.स.)। सिद्धपीठ सीता सदन मंदिर गाेलाबाजार, अयोध्याधाम झूलन के विभिन्न पदाें झूलन में आज सज-धज के युगल सरकार बैठे हैं..। झूला झूलें अवधबिहारी संग जनकदुलारी..। प्यारी संग झूलत प्रीतम प्याराे.. आदि गीताें से अलाेकित है। अवसर है मंदिर में युगल सरकार के श्रावण झूलनाेत्सव के। जाे मंदिर में सावन शुक्ल एकादशी प्रारंभ हो चुका है। अयाेध्यानगरी के नामचीन उत्सव में चार-चांद लगा रहे हैं। कलाकारों द्वारा झूलन महोत्सव की महफिल सजाई जा रही है। इससे श्राेतागण मंत्रमुग्ध हाे रहे हैं।
सीता सदन मंदिर के संस्थापक महंत डा. सीतारमण शरण महाराज के कुशल मार्गदर्शन में प्रतिदिन युगल सरकार के झूलन महोत्सव की दिव्य झांकी सज रही है। भगवान के झूलन झांकी का दर्शन कर साधु-संत, भक्तजन पुण्य के भागीदार बन रहे हैं। मठ में नित्य सायंकाल आरती-पूजन पश्चात युगल सरकार के झूलन की दिव्य झांकी सज रही है, जिसका सिलसिला देररात्रि तक चल रहा है। कलाकार विभिन्न झूलन गीताें से झूलनाेत्सव की शाेभा बढ़ा रहे हैं। पूरा मठ परिसर झूलनाेत्सव के उल्लास में डूबा हुआ है। जहां आस्था, श्रद्धा की त्रिवेणी बह रही है। चाराें ओर भक्तिमय वातावरण छाया हुआ है।
सीतासदन मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत किशाेरी शरण महाराज कलाकारों को न्याैछावर भी भेंट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में युगल सरकार का झूलन महोत्सव अपने चरमाेत्कर्ष पर है। युगल सरकार के झूलनाेत्सव की परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है। सर्वप्रथम भगवान श्रीराम ने अपनी अर्धांगिनी सीता संग मणिपर्वत के बाग में झूला झूला था। भगवान ने जिस दिन झूला झूला वह दिन सावन शुक्ल तृतीया का रहा। तब से प्रतिवर्ष हरियाली तीज काे मणिपर्वत पर झूला पड़ने के साथ ही अयाेध्या धाम के मठ-मंदिरों में झूलनाेत्सव प्रारंभ हो जाता है। और सावन शुक्ल पूर्णिमा तक चलता है। त्रेतायुगीन परंपरा का हम लाेग आज भी रहे हैं और अपने-अपने मठ, मंदिरों में युगल सरकार को झूले पर पधराकर झूला झुला रहे हैं। जाे भी मनुष्य युगल सरकार के झूलन झांकी का दर्शन करता है। ताे उसे सांसारिक माताओं की गाेद में कभी नही झूलना पड़ता है। वह सर्वथा के लिए आवागमन से मुक्त हो जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय