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नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग (पीसीआईएम एच) ने बुधवार को गाजियाबाद स्थित मुख्यालय में विश्व स्वास्थ्य संगठन- हर्बल दवाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियामक सहयोग (आईआरसीएच) कार्यशाला की शुरुआत की। ये कार्यशालाएं “हर्बल दवाओं की सुरक्षा और विनियमन” और “हर्बल दवाओं की प्रभावकारिता और उद्देश्य” पर आधारित हैं।
तीन दिवसीय यह वैश्विक तकनीकी कार्यशाला आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों और पर्यवेक्षक देशों से आए विशेषज्ञ इन कार्यशालाओं में हर्बल दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, नियामक समन्वय और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में उनके नैदानिक उपयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने आयुष प्रणालियों की वैज्ञानिक मान्यता और वैश्विक स्वीकार्यता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। कार्य समूह 1 और 3 के लिए अग्रणी देश के रूप में भारत डब्लूएचओ -आईआरसीएच मंच के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय नियामक सहयोग को सशक्त बनाने में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
डब्लूएचओ-आईआरसीएचके अध्यक्ष डॉ. किम सुंगचोल ने हर्बल दवाओं में सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावकारिता मानकों को मजबूत करने के लिए वैश्विक समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। पीसीआईएमएच के निदेशक डॉ. रमन मोहन सिंह ने डब्लूएचओ, संस्थागत भागीदारों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सहयोग की सराहना की।
6 से 8 अगस्त तक चलने वाली इस कार्यशाला में पोलैंड, नेपाल, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, जापान, इंडोनेशिया, क्यूबा, ईरान, श्रीलंका, पराग्वे
के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके साथ अमेरिका, मिस्र और ब्राज़ील के प्रतिनिधि वर्चुअली भाग ले रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी