साक्षात्कार : ख्वाहिशों को समाज की तंग परिभाषाओं में समेटने की कोशिश है 'डैला बैला: बदलेगी कहानी'
हम सबके भीतर कुछ ऐसा होता है जो बेहद अपना, बेहद खास होता है, एक अनकही-सी पहचान, जो हमें औरों से अलग बनाती है। ये भावना अक्सर शब्दों में नहीं ढलती, लेकिन इसकी एक कोमल, चुपचाप सी आहट होती है। ज़रूरत बस उसे महसूस करने की होती है। फिल्म ''डैला बैला: बद
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