जल पुनर्भरण संरचना पर मुक्त विश्वविद्यालय बनायेगा डॉक्यूमेंट्री फिल्म : कुलपति
सम्बोधित करते प्रो ए आर सिद्दीकी


प्रयागराज, 19 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में शनिवार को जल पुनर्भरण संरचना विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. सत्यकाम ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय जल पुनर्भरण संरचना पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाएगा। जिसे पूरे प्रदेश में छात्रों, अभिभावकों स्कूलों, कॉलेजो, विश्वविद्यालयो, किसानों, व्यवसायियों, उद्योगपतियों के बीच एक मुहिम के साथ डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएगी।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर ए. आर. सिद्दीकी, पूर्व विभागाध्यक्ष, भूगोल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने जल पुनर्भरण संरचना पर कौशाम्बी, प्रयागराज शहर के समस्त वार्ड, कॉलोनी, तहसील, ब्लाक व गांव स्तर पर कृत्रिम पुनर्भरण संरचना के निर्माण उसकी उपयोगिता पर बल दिया। भविष्य में होने वाले जल संकट, जल संसाधन पर जनसंख्या के दबाव से उत्पन्न समस्याओं को उजागर करते हुए जल संचय की उपयोगिता, संवहनीयता, विकास आदि अनेक बिंदुओं पर चर्चा की। चेन्नई, दिल्ली एवं अन्य महानगरों में जल की गुणवत्ता व उपलब्धता की समस्याओं से अवगत कराते हुए उनकी समस्याओं के निदान के लिए भविष्य में कैसे नियोजित तरीके से कार्य किया जाए, इस संबंध में सुझाव दिया। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से समझाया।

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि शासकीय प्रशासकीय प्रयास ही काफी नहीं है। जब तक कि जल संचय कृत्रिम पुनर्भरण संरचना को जन-जन तक पहुंचाया न जाए। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, स्कूलों के सभी छात्रों को जागरुक किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सब की सहभागिता को अनिवार्य बताया।

कुलपति ने कहा कि जल ही जीवन है। जल है तो कल है। उन्होंने कहा कि भूगोल ही नहीं अन्य विषयों में भी शिक्षकगण जल संकट व जल पुनर्भरण का प्रोजेक्ट अपने छात्रों से बनवाएं और उस पर अंक निर्धारित किये जायें, जिससे छात्र घर-घर जाकर जल पुनर्भरण संरचना का प्रचार प्रसार के साथ जनजागरूकता, जल के प्रति जन चेतना जागृत कर सके।

मुक्त विवि के मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन डॉ. त्रिविक्रम तिवारी तथा वाचिक स्वागत प्रो. संजय कुमार सिंह एवं आभार ज्ञापन कार्यक्रम निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र