श्रीलंका के लोगों में हिन्दी संगीत, सिनेमा व साहित्य में अत्यधिक रुचि : प्रो लक्ष्मण सेनेविरत्ने
प्रो लक्ष्मण सेनेविरत्ने


--श्री लंका के 120 विद्यालयों एवं 10 विश्वविद्यालयों में हिन्दी का पठन-पाठन--एमफिल व पी एचडी के उपाधियों की हुई शुरूआतप्रयागराज, 19 जुलाई (हि.स.)। हिन्दी अत्यंत मधुर भाषा है। श्रीलंका के लोग हिन्दी संगीत, सिनेमा व साहित्य में अत्यधिक रुचि लेते हैं। वहां हिन्दी का कोई विरोध नहीं है बल्कि श्रीलंका व भारत के सांस्कृतिक सम्बंधों को गहरा करने में हिन्दी पुल का कार्य कर रही है। श्रीलंका के लगभग 120 विद्यालयों में दसवीं से 12वीं की कक्षाओं तक तथा साथ ही 10 विश्वविद्यालयों में हिन्दी का पठन पाठन हो रहा है। एमफिल व पी एचडी के उपाधियों की शुरुआत भी हो चुकी है। यह बातें भारतीय हिन्दी परिषद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आभासी माध्यम में आयोजित केलेनिया विश्वविद्यालय श्रीलंका के प्रोफेसर लक्ष्मण सेनेविरत्ने ने “श्रीलंका में भारत की स्थिति“ विषय पर कहीं। उन्होंने बताया कि हिन्दी प्रचार के लिए सिंघली साहित्य के हिन्दी अनुवाद की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने 50 हिन्दी लिखने वालों का समूह भी बनाया है। इस प्रकार वे श्रीलंका में अनवरत हिन्दी की सेवा में लगे हुए हैं।

प्रो लक्ष्मण ने स्वामी विवेकानंद संस्कृतिक केंद्र, भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, भारत सरकार द्वारा श्रीलंका में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में किये जा रहे कार्यों की सराहना भी की। उन्होंने बताया कि उनका संगीत के द्वारा भारत से व हिन्दी से जो जुड़ाव हुआ उसके चलते उन्होंने मानक हिन्दी को श्रीलंका के विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए हिन्दी व्याकरण व सिंघली हिन्दी शब्दकोश की रचना की। उन्होंने अपनी एक कविता संग्रह “मन की अनुभूति“ का भी जिक्र किया। बताया कि श्रीलंका के लोग मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि हिन्दी साहित्य को गहराई से समझने के लिए भी हिन्दी का अध्ययन कर रहे हैं।

भारतीय हिन्दी परिषद के प्रधानमंत्री प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुआ कहा कि भारतीय हिन्दी परिषद विदेशी मूल के हिन्दी विद्वानों का डॉ धीरेन्द्र वर्मा व्याख्यान माला के अंतर्गत व्याख्यान कराया जा रहा है। जिससे विदेशों में हिन्दी की दशा दिशा से भारत के लोग परिचित हो सकें और हिन्दी के माध्यम से अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक सम्बंध भाषा के आधार पर आत्मीय बने।

सभापति प्रो पवन अग्रवाल ने भारतीय शास्त्रीय संगीत व हिन्दी का श्रीलंका के साथ ऐतिहासिक सम्बंधों को विस्तार से बताते हुए प्रो लक्ष्मण का स्वागत किया। साहित्य मंत्री प्रो त्रिभुवन नाथ शुक्ला ने प्रो लक्ष्मण के साथ श्रीलंका में अपनी मुलाकात का स्मरण करते हुए धन्यवाद दिया।इस अवसर पर प्रो अशोक नाथ त्रिपाठी वर्धा, डॉ प्रिया पटना, डॉ बलजीत श्रीवास्तव लखनऊ, डॉ जयराम त्रिपाठी प्रयागराज, डॉ संध्या द्विवेदी फिरोजाबाद, डॉ रेखा शेखावत हरियाणा, डॉ टिकमानी पटवारी मप्र आदि अन्य प्रतिभागियों ने सेनेविरत्ने से प्रश्न आदि पूछ कर संवाद स्थापित किया। भारतीय हिन्दी परिषद द्वारा आयोजित इस व्याख्यान में देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों के दो सौ से अधिक प्रोफेसर, शोधार्थी व छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र