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प्रयागराज, 19 जुलाई (हि.स.)। कभी-कभी कुछ हादसे ऐसे होते हैं, जो इंसानी सोच के बिल्कुल विपरीत होते हैं। कुछ ऐसे हादसे जो एक दूसरे पर संदेह करने पर मजबूर कर देते हैं और जब हादसा सीरियल किलिंग का हो और अपराधी जांचकर्ता स्वयं पुलिस अधिकारी हो तो लोगों का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। इसी प्रकार की रहस्य व रोमांच से भरपूर घटना पर आधारित “शालीमार“ नाटक का मंचन अखिल भारतीय सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था “एकता“ द्वारा शनिवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में किया गया।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मंचित नाटक “शालीमार“ की कहानी एक नवनिर्मित गेस्ट हाउस के इर्द गिर्द घूमती है। गेस्ट हाउस के ओनर अविनाश एवं उनकी पत्नी दिशा को रेडियो पर अनीता टंडन नाम की एक महिला के कत्ल हो जाने की खबर मिलती है तो दोनों बहुत परेशान हो जाते है। गेस्ट हाउस खुलने के पहले ही दिन इस प्रकार की खबर से पति पत्नी बहुत चिंतित होते हैं कि पहले ही दिन आने वाले गेस्ट पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
इसी समय एक-एक कर पांच कस्टमर आते हैं। इसमें डेविड, मिसेज आशा, मेजर सुधांशु, रूबी और अंत में गौरव तनेजा हैं। पांचों अलग-अलग पेशे से हैं। नाटक में रोचक मोड़ तब आता है जब गेस्ट हाउस में अचानक पुलिस इंस्पेक्टर रविन्द्र की इंट्री होती है। वह बताता है कि पिछली रात हुई महिला अनीता टंडन के कत्ल की तफ्तीश करने आया है। अनीता टंडन का खून सीरियल किलिंग का हिस्सा है और खूनी अभी दो और कत्ल करेगा। इंस्पेक्टर बताता है कि यह कत्ल बीस वर्ष पहले के एक केस से जुड़ा है। अनीता टंडन बीस साल पहले तीन बच्चों को एडॉप्ट करती है, पैसों के लालच में वह लोग बच्चों को बहुत टॉर्चर करते हैं। जिससे दो बच्चों की मौत हो जाती है और एक बच्चा भाग जाता है।
पुलिस इंस्पेक्टर यह सब बता ही रहा था कि उसी समय मिसेज आशा का कत्ल हो जाता है। इससे माहौल गरमा जाता है। गेस्ट हाउस में अब इंस्पेक्टर रविन्द्र की जांच पड़ताल में मेजर सुधांशु भी खोजबीन में लग जाते हैं। इसी कारण से इंस्पेक्टर रविन्द्र और मेजर सुधांशु के बीच टेंशन हो जाती है। मेजर को इंस्पेक्टर के ऊपर शक हो जाता है, शंका होने पर मेजर सबको बाहर कर दिशा से बात करता है। बातों बातों में यह बात आती है कि दो बच्चों का खून किसी और ने नहीं बल्कि पुलिस का चोला पहने रविन्द्र ने ही किया है। रविन्द्र और कोई नहीं दोनों बच्चों का बड़ा भाई बिट्टू है जो बीस साल बाद अपने मृत भाइयों का बदला लेने आता है। नाटक का अंत बहुत मार्मिक होता है जो दर्शकों को भाव विभोर कर देता है।
सभी के सशक्त अभिनय ने दर्शकों को नाटक से पूरे समय बांधे रखा। अगाथा क्रिस्टी के मूल कथा का पुनर्लेखन कर सुदीपा मित्रा ने नाटक का निर्देशन किया। कार्यक्रम में विधायक हर्षवर्धन बाजपेई, डॉ विभा मिश्रा (सहायक निदेशक लघु उद्योग एवं सूक्ष्म मंत्रालय भारत सरकार), बादल चटर्जी पूर्व कमिश्नर, अतुल यदुवंशी, अजामिल व्यास, रानी रेवती देवी के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे, वरिष्ठ नाट्य निर्देशक-समीक्षक प्रवीण शेखर, विभु गुप्ता, शैलेश श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत प्रख्यात गायक मनोज गुप्ता ने एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महासचिव जमील अहमद ने किया। मंच संचालन पूनम मिश्रा ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र