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शिमला, 19 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने सरकार द्वारा सेब से लदे पेड़ों को काटे जाने पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केवल वन भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को हटाने का आदेश दिया है, न कि वहां लगे फलों से लदे पौधों को काटने का।
शांता कुमार शनिवार को एक बयान में ने स्पष्ट किया कि इस आदेश को लागू करने के लिए सेब के पेड़ों को काटना आवश्यक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को चाहिए कि वह कब्जा की गई वन भूमि पर लोहे की कांटेदार तार की बाड़ लगाकर वहां बोर्ड लगाए, जिस पर लिखा हो कि यह भूमि अब वन विभाग की है और अवैध कब्जा हटाया जा चुका है। इससे अदालत के आदेश का पालन भी होगा और फलदार पौधे भी बच जाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का सर्वोच्च न्यायालय जाना अनावश्यक है और इससे सरकार उपहास का पात्र बन सकती है। उन्होंने आशंका जताई कि शायद सरकार पर प्रभावशाली लोगों का दबाव है, जो इस वन भूमि पर अवैध कब्जा किए हुए हैं और अब सेब की फसल स्वयं काटना चाहते हैं। इनमें कई नेता भी शामिल हो सकते हैं।
शांता कुमार ने भरोसा जताया कि यदि यह मामला सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो वहां से भी यही स्पष्ट किया जाएगा कि आदेश सिर्फ कब्जा हटाने का था, पेड़ काटने का नहीं। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस मामले को सजगता और संवेदनशीलता से संभाले।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला