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लखनऊ, 19 जुलाई (हि.स.)। राज्य सरकार ‘समर्थ’ पोर्टल को वर्ष 2025-26 तक उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पूरी तरह लागू करने की तैयारी में हैं। यह प्लेटफॉर्म न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा, बल्कि उच्च शिक्षा को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम और पारदर्शी भी बनाएगा। प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की 2025-26 की कार्ययोजना के तहत अब संकाय पदोन्नति, नामांकन, वेतन भुगतान, परीक्षा और शोध अनुदान जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं एक ही डिजिटल पोर्टल 'समर्थ' के माध्यम से संचालित की जाएंगी।
निजी ईआरपी सिस्टम होंगे बंद
सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, सरकार की इस वर्ष की कार्ययोजना के अनुसार 2025 के अंत तक सभी निजी ईआरपी सिस्टम को बंद कर केवल ‘समर्थ’ प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा। इससे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक बोझ में कमी आएगी और कार्यप्रवाह अधिक प्रभावी व संगठित होगा। अब तक राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों का समर्थ पोर्टल पर पंजीकरण हो चुका है।
विश्वविद्यालयों ने वेतन प्रसंस्करण, व्यय भुगतान, अवकाश प्रबंधन, नामांकन और परीक्षाओं जैसे कार्यों को समर्थ पर संचालित करना शुरू कर दिया है। छात्रों का ऑनलाइन पंजीकरण भी प्रगति पर है।
पदोन्नति की प्रक्रिया हुई डिजिटल और पारदर्शी
कॉलेज और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की करियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के अंतर्गत पदोन्नति के लिए अब ऑनलाइन पोर्टल विकसित कर लिया गया है। इस नई व्यवस्था से शिक्षकों को आवेदन प्रक्रिया में आसानी होगी और चयन की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और ट्रैक योग्य बन सकेगी। प्रदेश सरकार ने जुलाई 2025 से केंद्रीकृत प्रवेश प्रणाली लागू कर दी है। अब छात्रों का नामांकन एकीकृत पोर्टल के माध्यम से होगा। यह कदम प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता और एकरूपता लाने में मदद करेगा। पोर्टल का ट्रायल सफलतापूर्वक जारी है।
शोध और अनुदान के लिए भी ऑनलाइन आवेदन
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सेमिनार, शोध परियोजनाएं, पुरस्कार और शैक्षणिक अनुदान के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जा रहा है। इससे शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को अनुदान प्राप्त करने में और भी अधिक सुविधा और पारदर्शिता मिलेगी। प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न केवल डिजिटल भारत के विज़न को जमीन पर उतारना है, बल्कि उत्तर प्रदेश को उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता के मामले में अग्रणी राज्य बनाना भी है। 'समर्थ' पोर्टल इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दीपक