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दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर यूपी के बुनकर
लखनऊ,19 जुलाई (हि.स.)। भारत में बुनकरी एक प्राचीन और गौरवशाली परम्परा रही है। आज भी लाखों परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं लेकिन बाजार,तकनीक और पूंजी की समस्याओं के चलते बुनकर आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं। हथकरघा की स्थिति में सुधार और विद्युत सब्सिडी दिये बिना बुनकरों का हित संभव नहीं है। यह जानकारी सहकार भारती बुनकर प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख शैलेश प्रताप सिंह ने दी।
शैलेश प्रताप सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बुनकरों को बिजली पर छूट दी थी। तब से 130 रूपये प्रति हार्स पावर की दर से 75 किलोवाट तक बुनकरों को छूट मिलती थी। 01 अप्रैल 2023 से इस योजना में भार की सीमा को कम कर के मात्र पांच किलोवाट कर देने से इस पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। अब योगी सरकार में 130 रूपये के स्थान पर 800 रूपया प्रति हार्स पावर कर दिया गया है वह भी मात्र पांच किलोवाट तक। इसके अलावा बुनकरों को फ्लैट रेट योजना के तहत सभी प्रकार की पावर लूम मशीनें मय शटल लेस एवं जरी 125 किलोवाट तक भार शामिल था। वर्तमान समय में इस योजना के अन्तर्गत मात्र 05 किलोवाट भार क्षमता के साथ मात्र पावरलूम मशीनों को दिया जा रहा है, जो कि रैपियर लूम जरी उद्योग के साथ न्यायसंगत नहीं है।
बुनकर प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख शैलेश प्रताप सिंह ने बताया कि पहले से चली आ रही विद्युत सब्सिडी योजना में भारी कटौती करने से बुनकरी व्यवसाय प्रभावित हुआ है। यूपी में वर्तमान में पावरलूम की संख्या तीन लाख है। इस व्यवसाय से जुड़े निम्न आय वर्ग के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन