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योगेश कुमार सोनी
देश की राजधानी दिल्ली में झुग्गियों को लेकर सियासत नई नहीं है। पिछले रविवार को केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने झुग्गियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान केजरीवाल ने केंद्र और दिल्ली सरकार को पानी पी-पीकर कोसा। गारंटी पर सवाल उठाए। इस पर भला भाजपा कहां चुप रहने वाली थी। भाजपा ने साफ किया कि केवल अवैध झुग्गियों पर कार्रवाई हो रही है। जिन लोगों ने रेलवे लाइन से बिल्कुल सटाकर और ऐसी जगह जहां उनकी जान को खतरा है के आसपास झुग्गियां बनाई हैं, उन्हें कोर्ट के आदेशानुसार हटाया जाएगा। सही बात तो यह है कि झुग्गियों को वोट बैंक नहीं समझना चाहिए। लोग झुग्गियां डालते हैं। बाद में सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। पक्के मकान मिल जाते हैं। दिल्ली में झुग्गी माफिया काफी शक्तिशाली है। इस नेटवर्क को तोड़ने की जरूरत है। इसके लिए आलोचना की परवाह नहीं की जानी चाहिए।
दिल्ली के गृहमंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार किसी भी गरीब का आवास नहीं उजाड़ेगी। समाज के सबसे गरीब व्यक्ति का कल्याण करना भाजपा का लक्ष्य है। यह केवल नारा नहीं, बल्कि भाजपा का देश-समाज के परिवर्तन का मार्ग है। सूद ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही सबसे पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने 2500 मकानों को रहने लायक बनाने की दिशा में काम किया गया। अब 43 करोड़ रुपये की लागत से इन मकानों को फिर से तैयार किया जा रहा है। सूद ने कहा कि आवास उन्हीं गरीबों को दिए जाएंगे जिनके पास अपने छत की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
आरोप-प्रत्यारोप के चक्रव्यूह में सवाल यही है कि क्या पक्ष-विपक्ष केवल झुग्गियों में उलझ कर अपनी राजनीति करेंगे या अन्य योजनाओं पर काम करेंगे। केजरीवाल सरकार की मोहल्ला क्लीनिक योजना पर भी राजनीति हुई है। भाजपा ने मोहल्ला क्लीनिक का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर रख दिया है। नाम तो बदल दिए गए हैं पर काम में तेजी नहीं आई है।हालांकि लगभग दो वर्षों से मोहल्ला क्लीनिक खुद बेहाल थे। इससे दिल्ली की जनता बहुत नाराज थी। भाजपा की सरकार आई तो इसमें परिवर्तन करके आगे संचालित करने की बात कही। पर नाम बदलने के अलावा हुआ कुछ नहीं। अन्य अहम व महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, जिन पर काम होना था। इनका श्रीगणेश कब होगा, कोई नहीं जानता।
दिल्ली में भाजपा की सरकार बने लगभग पांच महीने हो चुके हैं। अब सरकार को अपने वादों के अनुसार काम करना चाहिए। वैसे भी दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य है जहां भाजपा की ढाई दशक से भी अधिक समय बाद वापसी संभव हो पाई है। भाजपा की महिला पेंशन योजना खास है। इसे संकटग्रस्त महिलाओं के लिए दिल्ली पेंशन योजना भी कहा जाता है। यह 18 वर्ष से अधिक आयु की विधवा, तलाकशुदा, अलग हो चुकी, परित्यक्त, या निराश्रित महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिनके पास आजीविका के पर्याप्त साधन नहीं हैं और जो गरीब और जरूरतमंद हैं। इस योजना का उद्देश्य इन महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वर्तमान में यह राशि 2,500 रुपये है। हाल ही में, विभाग ने एक सत्यापन अभियान चलाया जिसमें 60,000 से अधिक लाभार्थियों को अपात्र पाया गया। इस पर भी खूब राजनीति हुई।
अब बात यमुना नदी की। भाजपा सरकार ने शपथ भी नहीं ली थी और सबसे पहले यमुना की सफाई शुरू करते ही आरती शुरू कर दी थी। इससे जनता बहुत प्रभावित हुई लेकिन उसके बाद कुछ खास काम होता नही दिखाई दिया। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने भाजपा की रेखा गुप्ता सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यमुना की सफाई को लेकर किए गए दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं। यादव ने कहा कि यमुना के 7 मुख्य स्टेशनों से लिए गए पानी के नमूनों की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि यमुना का पानी न तो पीने योग्य है और न ही नहाने के लायक। यादव ने कहा भाजपा सरकार ने यमुना सफाई को अपनी प्राथमिकता बताया था परंतु अब केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कराई गई पानी की गुणवत्ता जांच ने सच्चाई बता दी।
बहरहाल समय रहते भाजपा को धरातल पर काम करना होगा। चूंकि लंबे अरसे बाद सत्ता में वापसी हुई है तो इस बात का ख्याल रखना होगा कि सबका साथ सबका विकास वाले तर्ज पर काम हो। गुणवत्ता व भरोसे के आधार पर जनता ने वोट दिया है तो उसके विश्वास को बनाए रखने के लिए योजनाओं व विकास पर काम होना चाहिए। सावन लग चुका है। सावन और भादों में दिल्ली में जलभराव से पूरा शहर ठप हो जाता है। इसको लेकर अभी तक कोई रणनीति नही दिख रही। वहीं, अभी भी कई इलाकों में पानी की आपूर्ति को लेकर परेशानी जस की तस बनी हुई है। इसके अलावा सबसे बड़ी चुनौती सर्दियां आते ही शुरू होगी। यह चुनौती प्रदूषण की होती है।सर्दियों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि लोगों को जीना मुहाल हो जाता है। दिल्ली में कंस्ट्रक्शन बंद,डीजल वाहन बंद व इसके अलावा कई गतिविधियों पर रोक सी लग जाती है। इससे करोड़ों का नुकसान होता है और सेहत भी प्रभावित होती है। इसलिए भाजपा के सामने कांटों भरी राह है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद