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सहरसा, 19 जुलाई (हि.स.)। कोसी की मिट्टी में कुछ तो खास है,जो एक बार बोई गई खेल की भावना, अब महोत्सव बन चुकी है। नटखट खेल महोत्सव केवल प्रतियोगिताओं का मंच नहीं, यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है जिसने पूरे इलाके में खेलों की नन्हीं लौ को मशाल में बदल दिया है।
2021 से शुरू हुआ यह आयोजन जब 32 जिलों के प्रतिभागियों के स्वागत के साथ राज्यस्तरीय पहचान पाने लगा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि गांव की पगडंडियों से उठी यह पहल बिहार के सबसे बड़े ग्रामीण खेल महोत्सव का रूप ले लेगी। 2022 के बाद 2023 और 2024 में इसे समाहित कर एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन के रूप में प्रस्तुत किया गया — जिसमें पारंपरिक खेलों के साथ आधुनिक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स का अद्भुत समागम हुआ। और अब, 2025 के आयोजन के समीप आने भर से पूरे कोसी अंचल में खेलों का उत्सव छा गया है।
बनगांव, पररी, पंचगछिया , बिरौल, वैद्यनाथ पुर बैरगाछी, दुधैला, बखरी, बसरिया — हर गांव की मिट्टी में ‘नटखट’ की गूंज है। जहां पहले बच्चों के हाथों में मोबाइल दिखते थे, अब वही हाथ फुटबॉल, वॉलीबॉल और कबड्डी की रेखाओं में संकल्प की लकीरें खींच रहे हैं। गांव-गांव में 50 से अधिक खेल आयोजनों की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि नटखट खेल महोत्सव अब सिर्फ एक तिथि नहीं, एक आंदोलन है जो युवा ऊर्जा को दिशा देता है, भाईचारे को बल देता है और परंपरा को नया जीवन देता है।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार