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देहरादून, 19 जुलाई (हि.स.)। वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) में वित्तीय अनियमितताओं और सॉफ्टवेयर घोटाले के खिलाफ पिछले छह महीनों से आंदोलनरत छात्रों को बड़ी सफलता मिली है। पूर्व कुलपति को हटाकर नए कुलपति की नियुक्ति कर दी गई है। छात्रों ने राज्यपाल गुरमीत सिंह का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए परीक्षा नियंत्रक को तत्काल हटाने और सॉफ्टवेयर घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।
डीएवी छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने आज यहां एक होटल में मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि छात्रों का आंदोलन सफल रहा, लेकिन अभी यूटीयू में भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्व कुलपति, परीक्षा नियंत्रक व अन्य पर कानूनी कार्रवाई होना बाकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए कुलपति की नियुक्ति होने के बाद भी डॉ. ओमकार यादव अभी भी राजभवन के कुछ अपने चहेते अधिकारियों से मिलकर कार्यमुक्त होने में देरी करके उनके विरुद्ध चल रही सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच के सबूतों से छेड़छाड़ करने का परपंच रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन किन कारणों से डॉ. ओमकार यादव को कार्यमुक्त करने में देरी कर रहे हैं। इसकी भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से जांच होनी चाहिए।
उन्होंने संदेह जताया कि विवादित कुलपति को कार्यमुक्त होने में देरी का मुख्य कारण विवादित सॉफ्टवेयर का दाे करोड़ का बिल पास करवाना और डॉ. ओमकार यादव के विरुद्ध चल रही सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच प्रभावित करना है। विश्वविद्यालय के एक्ट में प्राविधान है कि यदि नए कुलपति जाॅइनिंग में देर करे तब तक किसी सीनियर प्रोफेसर को ही कुलपति का चार्ज दिया जा सकता है। विवादित कुलपति की कार्यमुक्ति में देर करना छात्र हित में कतई उचित नहीं है। छात्रों ने चेतावनी दी कि सात दिन में ओंकार सिंह को हटाया नहीं गया व उनके खिलाफ उचित पारदर्शी कानूनी कार्यवाही नहीं की गई तो समस्त छात्रसंघ न्यायालय की शरण में जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल