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धर्मशाला, 19 जुलाई (हि.स.)। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से एक महत्वपूर्ण कानूनी सफलता मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी को लेकर राज्य सरकार के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। इस फैसले के तहत अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को 1045 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना से राज्य को 12 प्रतिशत के बजाय अब 18 प्रतिशत रॉयल्टी देनी होगी। कड़छम-वांगतू पर इस निर्णय से प्रदेश सरकार को लगभग 150 रुपए करोड़ की वार्षिक अतिरिक्त आय होगी। इसके अतिरिक्त 12 वर्ष पूर्ण कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मील का पत्थर बनेगा और राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से खजाने में प्रति वर्ष 250 करोड़ से अधिक की आय आएगी।
शनिवार को धर्मशाला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत प्राथमिकता पर लिया और प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रयास किए। यह फैसला न केवल प्रदेश की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि हिमाचल की जनता को उनके संसाधनों का वास्तविक लाभ भी दिलाएगा।
उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मई 2024 में आए आदेश को निरस्त करता है, जिसमें कंपनी को केवल 12 प्रतिशत रॉयल्टी देने की अनुमति दी गई थी। वर्ष 1999 में राज्य सरकार और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार परियोजना के पहले 12 वर्षों तक 12 प्रतिशत और उसके बाद शेष 28 वर्षों तक 18 प्रतिशत रॉयल्टी निर्धारित की गई थी।
उन्होंने कहा मुख्यमंत्री सुक्खू के निर्देश पर सरकार ने देश के अग्रणी विधि विशेषज्ञों की मदद से यह मामला सशक्त रूप से रखा और अंततः न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।
पठानिया ने कहा कि इससे पहले भी वर्तमान राज्य सरकार ने मजबूत इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करते हुए वर्ष 2002 से कानूनी विवाद में उलझे होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल केस का फैसला भी कोर्ट से अपने हक में करवाया, जिसमें हिमाचल प्रदेश सरकार और एक निजी होटल समूह के बीच स्वामित्व व प्रबंधन अधिकारों को लेकर लड़ाई चल रही थी। कोर्ट के निर्णय के बाद यह संपत्ति अब फिर से राज्य सरकार की होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया