आईआईएम-कलकत्ता दुष्कर्म मामला: पीड़िता की 'जांच में असहयोग' से मजबूत हो रहा आरोपित का पक्ष
हॉस्पिटल


कोलकाता, 19 जुलाई (हि.स.)।

आईआईएम-कलकत्ता परिसर में बाहरी महिला के साथ कथित दुष्कर्म मामले में आरोपित पक्ष की ओर से अब पीड़िता के ‘लगातार असहयोग’ को अदालत में मुख्य दलील के रूप में पेश किया जा सकता है।

आरोपित के वकील का दावा है कि पीड़िता इस सप्ताह तीन बार—सोमवार, मंगलवार और शनिवार—पेशी के लिए कोर्ट नहीं पहुंची, जहां मजिस्ट्रेट के समक्ष उसका बयान दर्ज होना था। इसके साथ ही, वह अब तक मेडिकल जांच के लिए भी आगे नहीं आई हैं और न ही उन्होंने घटना के वक्त पहने कपड़े जांच टीम को सौंपे हैं।

आरोपित पक्ष का यह भी कहना है कि पीड़िता और उनके पिता की ओर से दिए गए बयानों में कई महत्वपूर्ण विरोधाभास हैं, जो मामले की गंभीरता और सच्चाई पर सवाल खड़ा करते हैं।

हालांकि आरोपत के वकील ने पहले से अपनी दलील की पूरी रणनीति का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उनका तर्क है कि जांच में सहयोग न करना और परस्पर विरोधाभासी बयान अदालत में इस केस की प्रामाणिकता को कमजोर कर सकते हैं।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, कोलकाता पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच टीम अब तक केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर जांच कर रही है। इनमें आईआईएम-सी परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज, पीड़िता और आरोपी के मोबाइल फोन से मिले कॉल डिटेल्स, मैसेज और चैट्स, पीड़िता को दिए गए खाने और ठंडे पेय के सैंपल (जिन्हें कथित रूप से मिलावट किया गया था) तथा आरोपित द्वारा पहने गए कपड़े शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर