वन भूमि से सेब सहित फलदार पेड़ कटान के ख़िलाफ़ प्रदेश सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट
पेड़ काटते कर्मचारी


शिमला, 19 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर वन भूमि पर कब्ज़ा कर उगाए हज़ारों सेब और नाशपाती व अन्य फलदार पेड़ों की कटान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। शुक्रवार शाम को राजस्व व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में तय किया गया कि हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने भी कहा है कि सरकार कानूनी दृष्टि से हर पहलू पर गंभीरता से विचार कर रही है, ताकि किसानों और बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने वन भूमि पर अवैध कब्जे में लगाए गए फलदार पेड़ों को काटकर जमीन को खाली कराने के आदेश दिए थे। इसके बाद 12 जुलाई से प्रशासन ने कोटखाई के चैथला गांव में बड़ी कार्रवाई की शुरुआत की। इस दौरान अब तक कुल 4530 सेब और नाशपाती के पेड़ काटे जा चुके हैं। शुक्रवार को कार्रवाई के आखिरी दिन पांदली गांव चैथला में 228 पेड़ काटे गए और अतिक्रमण हटाया गया।

इस कार्रवाई की अगुवाई एसडीएम कोटखाई मोहन शर्मा ने की। मौके पर डीएफओ ठियोग मुनीश रामपाल, डीएसपी ठियोग सिद्धार्थ शर्मा, रेंज ऑफिसर, वन विभाग के कर्मचारी, मजदूर और मशीनें तैनात रहीं। मानसून की बारिश के बावजूद प्रशासन ने इस कार्रवाई को सफलतापूर्वक पूरा किया।

चैथला गांव में कुल 57 लोगों का अवैध अतिक्रमण हटाया गया। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला दंडाधिकारी शिमला अनुपम कश्यप ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत 11 से 18 जुलाई तक हथियार रखने पर रोक लगाई थी। जिनके पास लाइसेंसी हथियार थे, उन्हें कोटखाई पुलिस स्टेशन में जमा करवाना अनिवार्य किया गया था। पूरी कार्रवाई शांतिपूर्ण रही और कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।

हालांकि सेब सीजन के बीच में हुई इस कार्रवाई को लेकर किसान सभा, सेब उत्पादक संघ और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इससे बागवानों को बड़ा नुकसान हुआ है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी चिंता जताते हुए कहा कि पेड़ों को काटने की बजाय सरकार को इन पेड़ों को अपने कब्जे में लेकर उनसे आय अर्जित करनी चाहिए थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा