बरसात में सेब के पेड़ कटान पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी हिमाचल सरकार : जगत सिंह नेगी
बरसात में सेब के पेड़ कटान पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी हिमाचल सरकार : जगत सिंह नेगी


शिमला, 19 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार बरसात के मौसम में वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने के दौरान बड़े पैमाने पर हो रहे सेब के पौधों के कटान पर चिंता जताते हुए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है। यह जानकारी शुक्रवार को प्रदेश के राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद दी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश से हो रहे इस पेड़ कटान को बरसात के मौसम में रोकने की दिशा में राज्य सरकार जल्द सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी। इस संबंध में प्रदेश के एडवोकेट जनरल को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

जगत सिंह नेगी ने बताया कि बरसात के समय सेब के पेड़ों का कटान सिर्फ पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि बागवानों के लिए भी भारी क्षति का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि सेब के पेड़ कटने के बाद उन्हें कहां और कैसे डिस्पोज किया जाए, यह भी एक बड़ी चुनौती है। सरकार अवैध कब्जों के खिलाफ है, लेकिन भारी बारिश के बीच पेड़ काटना पर्यावरणीय दृष्टि से भी उचित नहीं है।

राजस्व मंत्री ने यह भी कहा कि हिमाचल सरकार वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए एक्ट) 1980 में संशोधन की केंद्र सरकार से मांग कर रही है ताकि प्रदेश को विशेष परिस्थितियों में कुछ राहत दी जा सके। इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में गोदावर्मन केस में याचिका दाखिल करने जा रही है, जिसमें हिमाचल के लिए भी राहत की मांग की जाएगी।

राजस्व एवं बागवानी मंत्री ने प्रदेश के भूमिहीनों और वन भूमि पर परंपरागत रूप से रह रहे परिवारों से भी फारेस्ट राइट्स एक्ट- 2006 के तहत अपने अधिकार वैध करवाने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हजारों लोग अपने पारंपरिक अधिकारों को इस कानून के तहत सुरक्षित कर सकते हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण वे आवेदन नहीं कर रहे हैं। सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाएगी।

उन्हाेंने केंद्र सरकार पर आपदा राहत में हिमाचल के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि 2023 में प्रदेश में आई भीषण आपदा के लिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रुपये की राहत राशि स्वीकृत की थी, लेकिन अब तक पूरी राशि जारी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने शर्त रखी है कि पहले राज्य सरकार को 500 करोड़ खर्च करने होंगे, तभी शेष राशि जारी की जाएगी। यह हिमाचल जैसे पहाड़ी और सीमित संसाधनों वाले राज्य के साथ अन्याय है।

गौरतलब है कि शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र के चैथला गांव समेत अन्य जगहों पर हाई कोर्ट के आदेश पर वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने की मुहिम जारी है, जिसमें अब तक 4530 सेब और नाशपाती के पेड़ काटे जा चुके हैं। इस कार्रवाई से पर्यावरणविदों और बागवानों में भी चिंता है। अब सरकार सुप्रीम कोर्ट से इस कार्रवाई पर बरसात के मौसम में रोक की मांग करेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा