हाथी ने ग्रामीण के मकान को तोड़ते हुए एक मवेशी को मौत के घाट उतार
हाथियों ने मकान तोड़कर धान खाया


रायगढ़, 19 जुलाई (हि.स.)।रायगढ़ जिले के जंगलों में विचरण करने वाले हाथियों का उत्पात जारी है। बीती रात एक हाथी ने एक ग्रामीण के मकान को तोड़ते हुए एक मवेशी को भी मौत के घाट उतार दिया है। मामले की जानकारी मिलते ही आज वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर आगे की कार्रवाई में जुट गई है।मिली जानकारी के मुताबिक छाल रेंज के खडगांव बीट के अंतर्गत आने वाले सिथरा गांव में बीती रात जंगल से गांव पहुंचे एक हाथी ने प्रहलाद राठिया के मकान को तोडते हुए वहां रखे एक बोरी धान को खाने के बाद गांव के ही जगसिंह के एक भैसा को भी मौत के घाट उतार दिया। आज सुबह इस मामले की जानकारी मिलते ही पूरे गांव में दहशत का माहौल निर्मित हो गया है।

समस्त ग्रामवासी सिथरा, हाटी, खड़गाँव, जितने भी छाल रेंज में आते हैं आसपास लोगों को सूचित किया गया है कि एक नग दंतैल हाथी बीती रात सिथरा बस्ती को घुसा था और घर तोड़ा एवं मवेशी की जान ले लिया, जो मदमस्त अवस्था में है। रात्रिकालीन घर से न निकलें हाथी बहुत आक्रमक है, कृपया सावधानी बरतें।

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि दस्तावेज मिलने के बाद प्रकरण तैयार करके मुआवजा देने की प्रक्रिया की जाएगी। खडगांव बीट में अभी वर्तमान में 01 ही हाथी विचरण कर रहा है, जो धान की खुशबू पाकर गांव पहुंचकर एक मकान को तोड़ा है। हाथी पर निगरानी रखते हुए आसपास के गांव में मुनादी कराई गई है।

रायगढ़ जिले के जंगलों में विचरण कर रहे हाथियों ने अन्य गांव में भी बीती रात मकान एवं फसलों को नुकसान पहुंचाया है। जिसमें पोटिया में 02 किसानों की फसल, बनहर में 01 मकान और फसल नुकसान, पुलईआंट में 01 मकान को नुकसान, अलोला के गेहूंबाडी में मकान, झोपडी एवं फसल नुकसान के अलावा रायगढ़ वन मंडल के हिंझर में भी 02 किसानों की धान की फसल को हाथी ने नुकसान पहुंचाया है।

इन दिनों रायगढ़ जिले में कुल 136 हाथी विचरण कर रहे है जिसमें धर्मजयगढ़ में 88 हाथी तो रायगढ़ वन मंडल में 48 हाथियों की मौजूदगी है। सर्वाधिक हाथी बाकारूमा रेंज के तेजपुर में 25, छाल रेंज के बेहरामार में 25, कापू रेंज के कूमा बीट में 13, रायगढ़ वन मंडल के कांटाझरिया बीट में 16, तमनार रेंज के हिंझर में 13, घरघोड़ा रेंज के कटंगडीह में 10 के अलावा अलग-अलग बीट में हाथियों की मौजूदगी है।

हिन्दुस्थान समाचार / रघुवीर प्रधान