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जींद, 17 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डा. कृष्ण मिड्ढा ने कहा कि आपातकाल भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय था। इस दौरान भारतीयों पर मौजूदा सरकार द्वारा अत्याचार किए गए। इन अत्याचारों की हद इतनी थी कि मुगलों व अंग्रेजों के अत्याचार भी फीके पड़ गए थे। आपातकाल के दौरान 30 वर्ष के युवाओं से लेकर 60 वर्ष तक के बुजुर्गों की जबरदस्ती नसबंदी की गई और इसका विरोध करने वालों को जेलों में ठूंस कर यातनाएं दी गई थी। आपातकाल के दौरान आम नागरिकों पर काफी अत्याचार किए गए। आपातकाल के दौरान मीडिया के ऊपर भी कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। आज के समय में मीडिया जागरूक है और तत्परता से कार्य करके लोकतंत्र के चैथे स्तंभ के रूप में मजबूती से खड़ा है।
हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डा. कृष्ण मिड्ढा गुरूवार को आपातकाल के काले अध्याय के 50 वर्ष पूरे होने पर सरल केन्द्र के प्रांगण में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। डा. मिड्ढा ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से भारत में प्राचीन काल से चली आ रही लोकतंत्र की जड़ें, लोकतांत्रिक परंपराओं के मूल में बसे जनकेंद्रित दृष्टिकोण और जनभागीदारी, श्रेणिसंघ में लोकतंत्र का तत्व, ग्रामीण और शहरी इलाकों में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र, परामर्शी प्रथाओं और सामुदायिक भागीदारी से प्रभावित शासन, स्वतंत्र भारत और संसदीय प्रणाली, आपातकाल से ठीक पहले का समय, आपातकाल की स्थिति अधिकार निलंबित, आपातकाल के दौरान भारत के संवैधानिक ढांचे और मूल्यों पर हमला, आपातकाल के दौरान जन आंदोलन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की डायरी, रचनात्मकता पर रोक फिल्मों पर प्रतिबंध, भूमिगत आंदोलन और प्रतिरोध की आवाजें के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है ताकि आज का युवा उस समय की परिस्थितियों के बारे में जागरूक हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा