झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में मामूली वृद्धि
झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में मामूली वृद्धि


श्रीनगर 17 जुलाई (हि.स.)। पूरे कश्मीर में मध्यम बारिश के बावजूद बुधवार को झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में मामूली वृद्धि देखी गई है और अधिकारियों ने तत्काल किसी भी बाढ़ के खतरे की संभावना से इनकार किया है।

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, कश्मीर के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार संगम पर झेलम नदी 3.85 फीट पर बह रही है जो 21 फीट के बाढ़ के निशान से काफी नीचे है।

आँकड़ों के अनुसार मुंशी बाग में यह 5.94 फीट (बाढ़ का निशान 18 फीट) और अशाम में 3.84 फीट (बाढ़ का निशान 14 फीट) है। इसमें आगे कहा गया है कि अन्य नदियों में पंपोर 0.05 मीटर, वुलर झील 1574.94 मीटर (पूर्ण जलस्तर 1578.00 मीटर के मुकाबले) जबकि सहायक नदियाँ भी खतरे के स्तर से काफी नीचे रहीं जैसे खुदवानी में विशो नाला 2.73 मीटर, वाची में रामबियारा नाला 0.01 मीटर, बटकूट में लिद्दर नाला 0.79 मीटर, और डोडरहामा में सिंध नाला 1.06 मीटर शामिल हैं।

आईएंडएफसी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी बाढ़ का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि जल स्तर पर नियमित रूप से नज़र रखी जा रही है और स्थिति नियंत्रण में है।

कश्मीर वेदर के एक स्वतंत्र मौसम पूर्वानुमानकर्ता फैजान आरिफ केंग ने इस आकलन में आगे बताया कि अब तक ज़्यादातर बारिश मध्य कश्मीर में हुई है।

उन्होंने बताया कि नदियों के जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए उच्च जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश ज़्यादा महत्वपूर्ण है। ऊपरी क्षेत्रों से अपवाह शुरू होने के बाद झेलम नदी पर इसका असर एक दिन या उससे ज़्यादा समय बाद दिखाई देगा।

इस बीच मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के अनुसार आने वाले दिनों में खासकर 17 जुलाई और फिर 21-23 जुलाई के बीच कई बार बारिश होने की संभावना है और कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी भी दी गई है।

मौसम विभाग द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार संवेदनशील इलाकों में अचानक बाढ़, भूस्खलन, भूस्खलन और पत्थर गिरने का खतरा है जबकि आम जनता, खासकर पहाड़ी या बाढ़-प्रवण इलाकों में रहने वालों को सतर्क रहने और आधिकारिक अपडेट का पालन करने की सलाह दी जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता