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कम जोत के किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन हो सकती कृषि वानिकी हकृवि के वानिकी विभाग में तकनीकी कार्यक्रम की समीक्षा बैठक आयोजित
हिसार, 17 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के वानिकी विभाग की ओर से संचालित तकनीकी कार्यक्रम की गत वर्ष 2024-25 की समीक्षा एवं वर्ष 2025-26 की रूपरेखा तैयार करने के लिए गुरुवार काे एक बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने की। कार्यक्रम में मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, वानिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप आर्य सहित विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष एवं वानिकी विभाग के वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने गुरुवार काे अपने संबोधन में कहा कि कम जोत के किसान कृषि वानिकी को अपनाकर न केवल अतिरिक्त आय कमा सकते हैं, अपितु पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग कर सकते है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे खेत की मेड़ पर, सडक़ किनारे, पानी के खालों के साथ व खाली पड़ी जमीन पर पेड़ अवश्य लगाएं। डॉ. गर्ग ने पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिए विविध वानिकी प्रजातियों के साथ एक एकड़ का वानिकी सहित अन्य पौधों को लगाने का मॉडल विकसित करने पर जोर दिया। प्रमुख कार्य क्षेत्रों में बांस की विभिन्न प्रजातियाँ, शीशम मृत्यु दर को कम करना और पॉपलर आधारित कृषि वानिकी प्रणालियों को बढ़ावा देना शामिल था। अनुसंधान निदेशक ने पॉपलर आधारित कृषि वानिकी प्रणाली के तहत रैटूनिंग के लिए उपयुक्त गन्ना किस्मों की पहचान करने और पॉपलर+गन्ना के लिए प्रबंधन पैकेज विकसित करने पर भी जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने पॉपलर के अंतर्गत गेहूं में खरपतवार प्रबंधन के लिए अनुसंधान करने पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. गर्ग ने पॉपलर में कीटनाशक छिडक़ाव के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और कैसुरीना आधारित ईंधन लकड़ी मॉडल बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने खेजड़ी, सहजन और मिलिया ड्यूबिया जैसी प्रजातियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पौध विकसित करने के महत्व पर भी बल दिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप आर्य ने विभाग की गत वर्ष 2024-2025 की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक अवार्ड प्राप्त किए हैं तथा कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए विभाग अह्म भूमिका निभा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर