खेरोदा में 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन के विरोध में गांव से ट्रेक्टर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण
खेरोदा में 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन के विरोध में गांव से ट्रेक्टर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण


खेरोदा में 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन के विरोध में गांव से ट्रेक्टर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण


खेरोदा में 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन के विरोध में गांव से ट्रेक्टर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण


उदयपुर, 10 जून (हि.स.)। खेरोदा कस्बे के ग्रामीणों ने वहां प्रस्तावित 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन को हटाने की मांग को लेकर मंगलवार को बड़ी संख्या में उदयपुर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। वे ट्रेक्टर्स लेकर शहर पहुंचे। ग्रामीणों ने फतह स्कूल के समीप वाहनों से उतरकर हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट की ओर कूच किया। यहां उन्होंने सभा कर विरोध दर्ज कराया और जिला कलेक्टर की अनुपस्थिति में उदयपुर एसपी योगेश गोयल को ज्ञापन सौंपा।

यह विरोध ‘खेरोदा संघर्ष समिति’ के नेतृत्व में किया गया, जिसमें सैकड़ों ग्रामीण, महिलाएं व युवा ट्रैक्टर, बसों व अन्य वाहनों से खेरोदा से रवाना हुए। गांधी चौक पर एकत्र होकर गांव में रैली निकाली गई और फिर उदयपुर जिला मुख्यालय पहुंचकर सभा की गई।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पावरग्रिड इंडिया कंपनी को आवंटित की गई यह भूमि अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की वेटलैंड 'मेनार-खेरोदा कॉम्प्लेक्स' का हिस्सा है, जहां खेरोदा तालाब स्थित है। यह तालाब मेनार वेटलैंड के नक्शे में दर्शाया गया है और खेरोदा पंचायत द्वारा वर्षों से इस क्षेत्र को शिकार और मछली पालन से मुक्त रखा गया है ताकि जलजीवों, पशु-पक्षियों और मवेशियों के लिए सुरक्षित पर्यावरण बना रहे।

पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कूकड़ा ने विरोध जताते हुए कहा कि जिस भूमि को सरकार ने रामसर साइट के रूप में नामित किया है, उसी भूमि को पावरग्रिड स्टेशन के लिए आवंटित करना विरोधाभासी है। उन्होंने कहा कि विकल्पस्वरूप सुझाई गई नागलिया की भूमि चारागाह योग्य नहीं है और वह स्थान 10-15 किमी दूर है, ऐसे में पशुओं का चरना संभव नहीं है।

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि खेरोदा के पटवारी द्वारा मौके की जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें जानबूझकर कई तथ्य छिपाए गए। रिपोर्ट में भूमि को खेरोदा तालाब या राजपूतों के तालाब के केचमेंट क्षेत्र में नहीं बताया गया, जबकि यह दोनों तालाबों के समीप है और वहाँ दो एनीकट भी मौजूद हैं। जलदाय विभाग के तीन कुएं, आसपास स्थित श्मशान, गोशाला, सार्वजनिक शौचालय और गार्डन जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक संरचनाओं का भी जिक्र नहीं किया गया।

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पटवारी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में पहले मेनार वेटलैंड से दूरी 1 किमी लिखी गई थी, लेकिन बाद में ओवरराइटिंग कर इसे 2 किमी कर दिया गया। यह दर्शाता है कि भूमि आवंटन में अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही हुई है।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि पावरग्रिड स्टेशन का प्रस्ताव निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। सरपंच प्रतिनिधि रवि गर्ग ने कहा कि यह भूमि वर्षों से संरक्षित है, यहां मछली पकड़ने और शिकार पर 2003 से रोक है, और इसे संरक्षित घोषित करने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि बीते सात माह में वे कई बार उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, जिला कलेक्टर, विधायक उदयलाल डांगी और सांसद सीपी जोशी को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं हुई है। इससे ग्रामीणों में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति रोष है।

ज्ञापन में मांग की गई कि पावरग्रिड इंडिया कंपनी को दी गई भूमि आवंटन को निरस्त किया जाए और जो कर्मचारी मौके की रिपोर्ट में अनियमितता के दोषी हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता