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भिण्ड, 10 जून (हि.स.)। शहर की 2.50 लाख की आवादी पर सिर्फ एक खेल स्टेडियम है वो भी उपेक्षा का शिकार होने से खेल प्रतिभाओं को निखरने का अवसर नहीं मिल पा रहा। सालों पर यहां पर किसी प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हुआ है। चुनावों के दौरान यहां पर सिर्फ राजनैतिक दलों की रैलियां होती हैं। कई बार जमीन हस्तांतरण करने की कवायद भी चली लेकिन जनप्रतिनिधियों के रूचि न लेने से परवान नहीं चढ़ पाई।
करीब 35 साल पहले तत्कालीन कलेक्टर की पहल पर एमजेएस कालेज की जमीन पर बिना उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति लिए ही राजीव गंाधी स्टेडियम का निर्माण करा दिया गया था।
स्टेडियम के निर्माण पर उस समय 70 लाख से अधिक की राशि खर्च की गई थी। इसमें तत्कालीन भाजपा सांसद योगानंद सरस्वती द्वारा भी अपनी निधि से धन की व्यवस्था की गई थी। स्टेडियम को मानक पर खतरा उतारने के लिए कई निर्माण कार्यो की अवश्यकता है। लेकिन जमीन उच्च शिक्षा विभाग की होने केकारण खेल विभाग किसी प्रकार का बजट नही दे रहा वहीं उच्च शिक्षा विभाग के पास स्टेडियम के लिए बजट नहीं हैं।
खेल विभाग पहले भी कई बार जमीन लेने के प्रयास कर चुका है उच्च शिक्षा विभाग अपनी बेशकीमती जमीन देने को तैयार नहीं हो रहा है। स्टेडियम का विकास न हो पाने से जिले की तमाम खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं।
करीब दो दसक से स्टेडियम के मेटेनेंस पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया है। वर्तमान में स्टेडियम की बाउंड्रीवाल कई जगह दरक चुकी है। दिन के समय आवारा पशु भी स्टेडियम में डेरा डाले रहते है। वहीं रात के समय नशेडियों का अड्डा बन जाता है। स्टेडियम की दशा सुधारने के लिए अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि की ओर से पहल नहीं की गई है। स्टेडियम में किसी खेल की प्रेक्टिस के लिए किट नहीं है। तीन दसक में एक बार भी यहां पर जिला या प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का भी आयोजन नहीं किया गया है। खेल विभाग ने भी एक प्रकार से स्टेडियम को विवादित मान लिया है। इसी लिए किसी प्रकार का फंड भी जारी नहीं किया जा रहा है।
कंस्ट्रक्शन होने के कारण एमजेएस कालेज भी इस जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहा है। वर्तमान में स्टेडियम का उपयोग सेना और पुलिस की तैयारी करने वाले युवा मैदान के रूप मे कर रहे है। सुबह ४ बजे से ही इस मैदान पर युवाओं की प्रेक्टिस शुरू हो जाती है।
खिलाडिय़ों के लिए नहीं है शौचालय और वॉसरूम, कवर्ड दर्शक दीर्घा भी नहीं
दो विभागों के बीच में फसे होने के कारण राजीव गांधी स्टेडियम का विकास नहीं हो पा रहा है। स्टेडियम में कवर्ड दर्शक दीघा न होने के कारण कोई प्रदेश स्तरीय
प्रतियोगिता भी नहीं हो पा रही। इसी प्रकार खिलाडिय़ों के लिए शौचालय ओर वॉसरूम तक नहीं है। नलकूप, विद्युत भी नहीं है। रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो, वेडमिंटन जैसे खेलों की भी सुविधा स्टेडियम में नहीं है। खेल प्रेमियों का कहना है कि टर्फ बिछाकर स्डेडियम को फुटवॉल और हॉकी के लिए तैयार किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले जमीन का विवाद हल करना होगा।
इस संबंध में प्रभारी प्राचार्य शासकीय एमजेएस कालेज के डा.आरए शर्मा का कहना है कि खेल विभाग ने तीन दशक पहले उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति लिए ही स्टेडियम का निर्माण करा दिया था। यह जमीन भविष्य में कालेज के उपयोग में आ सकती है इसी लिए विभाग ने जमीन खेल विभाग को हस्तांतरित करने से इंकार कर दिया है।
हिन्दुस्थान समाचार/अनिल
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा