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उदयपुर, 10 जून (हि.स.)। भारतीय इतिहास की गौरवशाली धरोहर, मेवाड़ की आत्माभिमानी परंपरा और वीरता के प्रतीक महाराणा प्रताप की विजयगाथा को जनमानस तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रताप गौरव केन्द्र, राष्ट्रीय तीर्थ पर हल्दीघाटी विजय सार्द्ध चतु: शती समारोह का शुभारंभ 18 जून 2025 को होने जा रहा है। यह समारोह 1576 के ऐतिहासिक हल्दीघाटी युद्ध के 450वें वर्ष के उपलक्ष्य में किया जा रहा है, जो एक संपूर्ण वर्ष तक देशभर में उत्साह, गौरव और राष्ट्रचेतना के साथ मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि हल्दीघाटी युद्ध केवल एक ऐतिहासिक संघर्ष नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, आत्मबलिदान और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है। यह समारोह न केवल इतिहास का पुनर्पाठ है, बल्कि नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का प्रयास भी है। मेवाड़ की पवित्र भूमि पर जब प्रताप की विजय यात्रा फिर से गूंजेगी, तब सम्पूर्ण भारत इस वीरता के प्रतीक को फिर से नमन करेगा।
प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि समारोह के प्रथम सोपान का शुभारंभ 18 जून को हल्दीघाटी में राष्ट्र चेतना यज्ञ से होगा, जिसमें मेवाड़ के महान शौर्य का स्मरण करते हुए राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार किया जाएगा। यज्ञ के उपरांत वहां सभा होगी और उसके बाद महाप्रसादी का आयोजन होगा। उसी दिन हल्दीघाटी विजय संदेश यात्रा निकाली जाएगी जो हल्दीघाटी से प्रारंभ होकर उदयपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए प्रताप गौरव केन्द्र तक पहुंचेगी।
इस गौरवयात्रा में हल्दीघाटी की माटी और विजय ध्वज को ससम्मान लाया जाएगा, जिनका नगर में जगह—जगह स्वागत और पूजन किया जाएगा।
यात्रा के समापन पर यह माटी और ध्वज प्रताप गौरव केन्द्र परिसर में स्थापित किए जाएंगे।
समारोह के प्रथम सोपान (18 से 25 जून) के दौरान दो कार्यशालाएं भी होंगी। पहली चित्रकला कार्यशाला पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सहयोग से होगी। इस कार्यशाला में 25 चित्रकार मेवाड़ी चित्रशैली की विविधताओं को कैनवास पर उकेरेंगे, जिनमें महाराणा प्रताप का जीवन, युद्ध दृश्य, एवं मेवाड़ का लोकजीवन दर्शाया जाएगा।
इसी तरह, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) के सहयोग से प्राच्य लिपि कार्यशाला होगी जो प्राचीन लिपियों के पठन-पाठन प्रशिक्षण पर आधारित होगी। देशभर के प्रतिष्ठित पुराविद एवं लिपि विशेषज्ञ प्रतिभागियों को भारतीय लिपिक परंपरा से जोड़ने का कार्य करेंगे। इन दोनों कार्यशालाओं हेतु इच्छुक प्रतिभागियों को पूर्व आवेदन करना होगा।
प्रवेश शुल्क और वाटर लेजर शो शुल्क में रहेगी छूट
प्रथम सोपान के तहत 18 से 25 जून तक प्रताप गौरव केन्द्र में प्रवेश शुल्क सभी वर्गों के लिए मात्र 50 रुपये रहेगा। शाम के समय होने वाले वाटर लेजर शो — मेवाड़ की शौर्यगाथा का शुल्क भी 50 रुपये ही रहेगा।
पूरे वर्ष होंगे आयोजन, प्रत्येक राज्य और जिले में पहुंचेगी प्रताप गाथा
समारोह वर्ष भर चलेगा और इसके अंतर्गत सभ्यता अध्ययन केन्द्र, नई दिल्ली के सहयोग से देश के हर राज्य में हल्दीघाटी युद्ध पर संगोष्ठियों की योजना बनाई गई है। इसी क्रम में राजस्थान के प्रत्येक जिले में संगोष्ठियों का आयोजन भी प्रस्तावित है। विद्यालयों और महाविद्यालयों में भी शैक्षणेत्तर गतिविधियों के रूप में चित्रकला, रंगोली, भाषण व आशुभाषण प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी ताकि युवाओं में महाराणा प्रताप के चरित्र और मूल्यों का समावेश किया जा सके।
दिवेर विजय महोत्सव और समारोह का भव्य समापन
इस वर्ष का दिवेर विजय महोत्सव भी इस समारोह का अभिन्न हिस्सा होगा। समारोह का विराट समापन अगले वर्ष 18 जून 2026 को होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता