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शिमला, 10 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प और हथकरघा निगम लिमिटेड के निदेशक मंडल की मंगलवार को 194वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों का एक प्रभावी प्रचार वीडियो तैयार किया जाए, जिसे सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर प्रसारित कर व्यापक स्तर पर प्रचार किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कारीगरों और बुनकरों को लाभ पहुंचाने के लिए निगम द्वारा चलाए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं और इन योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए। विलुप्त होती पारंपरिक कलाओं को सहेजने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता भी उन्होंने जताई। मंत्री ने चंडीगढ़ में शो-विंडो-कम-सेल काउंटर खोलने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश भी दिए, ताकि राज्य के उत्पादों को बड़े बाजार मिल सकें।
बैठक में जानकारी दी गई कि निगम 23.38 करोड़ रुपये की लागत वाली केंद्र प्रायोजित व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस) को तीन वर्षों की अवधि में लागू कर रहा है। वर्ष 2023-24 में निगम ने 420 कारीगरों को लाभान्वित किया और 340 को उन्नत टूल किट वितरित कीं, जबकि 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 840 हो गई।
दिल्ली, धर्मशाला और मनाली के तीन एम्पोरियम का नवीनीकरण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि चंबा में दो और शिमला में एक एम्पोरियम का कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2025-26 में राज्य भर के लगभग 2500 कारीगरों के लिए 120 डिजाइन और तकनीकी विकास कार्यशालाएं तथा 20 उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही पांच विषयगत प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी और दो नए एम्पोरियम खोले जाएंगे।
निदेशक मंडल ने हिमाचल के पारंपरिक ऊनी वस्त्र ‘हिमालयन ट्वीड’ को विशेष पहचान दिलाने और देश-विदेश में हथकरघा उत्पादों के विस्तार के लिए निगम के प्रबंध निदेशक को अधिकृत किया। निगम की प्रबंध निदेशक डॉ. ऋचा वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में निगम ने 29.98 करोड़ रुपये के उत्पादों की बिक्री की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा