झाबुआ: भारी तपन के बीच कुछ स्थानों पर आज हुई वटसावित्री पूजा; जिला स्थान पर मंदिरों में ज्येष्ठा अभिषेक और पूजा बुधवार को
वटसावित्री व्रत विधान


वटसावित्री व्रत विधान


झाबुआ, 10 जून (हि.स.)। जिले के विभिन्न नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के पावन अवसर पर मंगलवार को वटवृक्ष की पूजा कर वटसावित्री व्रत विधान संपन्न किया गया, जबकि जिला स्थान पर कल बुधवार को वटसावित्री व्रत विधान के अंतर्गत वटवृक्ष की पूजा की जाएगी। जिला स्थान के विद्वान ब्राह्मणों द्वारा उदय व्यापिनी ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत संपन्न किए जाने का विधान सुनिश्चित किया गया था, अतः बुधवार को ही वटवृक्ष की पूजा कर वटसावित्री व्रत विधान संपन्न होगा, और इसी दिन प्राचीन श्री विष्णु मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना भी संपन्न होगी।

जिले के विभिन्न नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में सुहागिन महिलाओं द्वारा भयावह तपन के बीच आज मंगलवार को जहां वटवृक्ष की पूजा कर तथा श्रद्धा पूर्वक वट सावित्री पर्व मना कर वट देवता से अपने सुहाग ओर परिवार के प्रति शुभ मंगल की कामना की गई ओर इस पूजा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का दिव्य संदेश प्रसरित किया गया, वहीं जिले के विभिन्न जनपदीय एवं ग्रामीण इलाकों में स्थित मंदिरों में विधि पूर्वक भगवान् का अभिषेक किया गया। इस पर्व पर वटदेव की विधिवत पूजा अर्चना के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं अपने समीपवर्ती भगवान् श्रीहरि विष्णु मंदिरों और शिवालयों में दर्शनार्थ पहुंची। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि दो होने से कहीं आज तो कहीं कल बुधवार को वट देव की पूजा की जाएगी।

शास्त्रों में वर्णित भारतीय संस्कृतिक परंपरा एवं धार्मिक महत्व के इस महत्वपूर्ण पर्व पर आज जिले में कुछ स्थानों पर सुहागिन महिलाओं द्वारा व्रत रखकर एवं विधि विधान पूर्वक अपने क्षेत्र में स्थित वट वृक्ष की पूजा की गई, एवं परिक्रमा कर वट देवता से उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घ आयु, अक्षय सौभाग्य तथा निरन्तर अभ्युदय ओर सुख समृद्धि की कामना की गई। इस पर्व पर आज वटवृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना एवं आराधना की गई, तत् पश्चात् परिक्रमा कर पूजा विधान संपन्न किया गया, और व्रत का अनुष्ठान किया गया।

सनातन धर्म में शास्त्रों के मतानुसार वटवृक्ष में त्रिदेवों सहित सावित्री को प्रतिष्ठित बताया गया है, अतः सुहागिन महिलाओं द्वारा वटवृक्ष की इसी रूप में पूजा कर व्रत का अनुष्ठान किया जाता रहा है, और परंपरागत रूप से वटवृक्ष, ब्रह्म सावित्री, सत्यसावित्री एवं धर्म राज महाराज की पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रयागराज गंगा के तट पर अक्षय वट प्रतिष्ठित है, और इसी वटवृक्ष के नीचे दैवी सावित्री ने अपने पतिव्रत धर्म पालन से अपने मृत पति सत्यवान को पुनः जीवित किया था, तब से ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है, और इसी रूप में इसे आस्था पूर्वक किया जाता है। जिले में विभिन्न नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में आज मंगलवार को प्रातः कालीन वेला में ही सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने समीपवर्ती पुराने वटवृक्ष की पूजा का सिलसिला शुरू कर दिया गया, जो दोपहर तक जारी रहा। जिले में विभिन्न स्थानों पर अपने पास के वटवृक्ष के तले बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं ने विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर एवं कच्चे सूत (धागे) को लपेटते हुए वटदेव की परिक्रमा की, और वटसावित्री की कथा श्रवण कर व्रत अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान की।

जिला के थांदला नगर के अति प्राचीन श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, भक्त मलुकदासजी महाराज द्वारा स्थापित श्री राम मंदिर एवं इस जनपद के परवलिया स्थित श्री रणछोड़ राय मंदिर सहित अन्य नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में स्थित श्रीविष्णु मंदिरों में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर मंगलवार को परंपरागत रूप से श्री भगवान् की विशेष पूजा की गई। इस अवसर पर कुछ मंदिरों में पुरूसुक्त के मंत्रों से विधि पूर्वक अभिषेक के द्वारा तो कहीं श्रीविष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ के माध्यम से भगवान् श्री विष्णु का अभिषेक और पूजा की गई। इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन होने और उदय व्यापिनी ज्येष्ठ पूर्णिमा कल बुधवार को होने से उक्त मंदिरों में बुधवार को भी विशेष पूजा अर्चना संपन्न होगी।

जिला मुख्यालय स्थित श्री गोवर्धन नाथ मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर ज्येष्ठा नक्षत्र में परंपरागत रूप से सरोवर से लाए गए पवित्र जल से भगवान् श्री गोवर्धननाथ का अभिषेक किया जाता है। यहां ज्येष्ठ पूर्णिमा के एक दिन पहले सरोवर की पूजा कर रजत घट में कुएं का जल भरकर लाया जाता है, और इसी पवित्र जल से विधि पूर्वक भगवान् का अभिषेक किया जाता है। और चूंकि उदयकालीन पूर्णिमा एवं ज्येष्ठा नक्षत्र बुधवार को है, इसलिए श्री गोवर्धननाथ मंदिर के पुजारी सहित बड़ी संख्या में एकत्र हुए श्रद्धालु आज मंगलवार को बाजे गाजे के साथ सरोवर तट पर पहुंचे, और सरोवर की पूजा कर समीप स्थित कुएं से रजत घट में पवित्र जल लाया गया, बुधवार को प्रातः कालीन वेला में वेदपाठी विद्वान ब्राह्मणों द्वारा इसी जल से पुरूसुक्त के मंत्रों द्वारा विधि-विधान पूर्वक भगवान् का ज्येष्ठा अभिषेक किया जाएगा। इस अवसर पर थांदला नगर में पद्मावती नदी के तट पर स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में श्रीविष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ द्वारा भगवान् श्री लक्ष्मीनारायण की विशेष पूजा संपन्न की जाएगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उमेश चंद्र शर्मा